UNGA में निशाने पर लगा जयशंकर का बिना नाम वाला तीर, PAK ने खुद को आतंकवाद के जाल में फंसाया

Pakistan Terrorism Exposed: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 80वीं सत्र में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को बिना नाम लिए ही 'वैश्विक आतंक की नर्सरी' करार देते हुए एक ऐसा बयान दिया, जिसने न केवल इस्लामाबाद को बैकफुट पर धकेल दिया, बल्कि पूरे हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। वहीं, जयशंकर के इस कटाक्ष का जवाब देते हुए पाकिस्तान ने खुद को और गहरी फांस में डाल लिया,
जयशंकर का संबोधन
बता दें, 27 सितंबर को UNGA में अपने संबोधन की शुरुआत 'भारत के लोगों की ओर से नमस्कार' कहते हुए जयशंकर ने वैश्विक चुनौतियों पर खुलकर बोला। उन्होंने कहा कि भारत ने स्वतंत्रता के बाद से ही एक ऐसे पड़ोसी का सामना किया है, जो 'वैश्विक आतंकवाद का केंद्रबिंदु' है। दशकों से प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हमलों की जड़ें इसी देश से जुड़ी हुई हैं और संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में उसके नागरिकों की संख्या उल्लेखनीय है। उन्होंने हाल ही के पहलगाम आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए 'क्रॉस-बॉर्डर बर्बरता' करार दिया।
जयशंकर ने बताया कि भारत ने अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार बखूबी निभाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब राष्ट्र आतंकवाद को राज्य नीति घोषित करते हैं, जब आतंक के केंद्र औद्योगिक स्तर पर चलते हैं और आतंकियों को सार्वजनिक रूप से महिमामंडित किया जाता है, तो आतंक के वित्तपोषण को रोकना अनिवार्य है। उन्होंने चेतावनी दी कि आतंक प्रायोजित करने वाले राष्ट्रों को संरक्षण देने वाले खुद पर इसका अंजाम भुगतेंगे। उन्होंने आतंकवाद को 'कट्टरता, हिंसा, असहिष्णुता और भय का मिश्रण' बताते हुए वैश्विक दबाव बढ़ाने की अपील की।
पाकिस्तान का फंसा हुआ जवाब
वहीं, अब जयशंकर के बयान के ठीक बाद पाकिस्तान ने भी प्रतिक्रिया दी। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के संबोधन में भारत को निशाना बनाने की कोशिश की गई, लेकिन नाम न लिए जाने के बावजूद पाकिस्तान ने इसे व्यक्तिगत रूप से ले लिया। भारत ने 'राइट ऑफ रिप्लाई' का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के दावों को खारिज किया और कहा कि यह प्रतिक्रिया क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद की अप्रत्यक्ष स्वीकारोक्ति है।
पाकिस्तान ने दावा किया कि जयशंकर का बयान 'भारत को बदनाम करने' का प्रयास था, लेकिन इससे उलट यह पाकिस्तान की आतंक प्रायोजित करने वाली छवि को और मजबूत कर गया। अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान ने मई तक और हमलों की धमकी दी थी, लेकिन 'ऑपरेशन सिंदूर' से उसके सैन्य हवाई अड्डों को नुकसान पहुंचने के बाद युद्धविराम की मांग की गई। यह तथ्य वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है।
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