UNGA में जयशंकर ने दुनिया को दिखाया आईना, पाकिस्तान पर तीखा प्रहार कर दिया 'आतंक की नर्सरी' का टैग

S Jaishankar On Pakistan Terrorism: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 80वीं सत्र में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पाकिस्तान पर तीखा प्रहार करते हुए इसे वैश्विक आतंकवाद का 'एपिसेंटर' करार दिया। अपने 16 मिनट के संबोधन में जयशंकर ने बिना नाम लिए स्पष्ट संकेत दिया कि प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आतंकी हमलों की जड़ें 'उस एक देश' से जुड़ी हैं, जहां आतंकवाद को खुलेआम प्रोत्साहन मिलता है।
विदेश मंत्री ने वैश्विक सुरक्षा की चुनौतियों पर क्या कहा?
जयशंकर ने अपने भाषण की शुरुआत में वैश्विक सुरक्षा की चुनौतियों पर जोर देते हुए कहा कि भारत ने स्वतंत्रता के बाद से ही आतंकवाद का सामना किया है। खासकर अपने एक पड़ोसी के कारण, जो दशकों से वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है। उन्होंने कहा 'दशकों से, प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आतंकी हमले उसी एक देश से जुड़े पाए जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र की नामित आतंकी सूचियां उसके नागरिकों से भरी पड़ी हैं।' यह टिप्पणी पाकिस्तान की ओर इशारा करती है, जहां से कई वैश्विक आतंकी संगठनों को समर्थन मिलने के आरोप लगते रहे हैं।
हाल के घटनाक्रमों का हवाला देते हुए जयशंकर ने अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए क्रूर हमले का जिक्र किया, जहां निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई। उन्होंने इसे 'सीमा-पार बर्बरता' का उदाहरण बताते हुए कहा 'भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार का प्रयोग किया और अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया।' यह बयान भारत की 'जीरो टॉलरेंस' नीति को रेखांकित करता है, जो 2016 के उरी हमले और 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसी कार्रवाइयों से प्रेरित है।
जयशंकर ने दी चेतावनी
आतंकवाद को 'सांप्रदायिकता, हिंसा, असहिष्णुता और भय का मिश्रण' बताते हुए जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि जब कोई राष्ट्र आतंकवाद को राज्य नीति घोषित कर दे, जब आतंकी केंद्र औद्योगिक स्तर पर चलें और आतंकियों का सार्वजनिक गुणगान हो, तो ऐसी कार्रवाइयों की निंदा अनिवार्य हो जाती है। उन्होंने आगे कहा 'आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकना होगा, प्रमुख आतंकियों पर प्रतिबंध लगाना होगा और पूरे आतंकी तंत्र पर अटल दबाव डालना होगा। जो राष्ट्र आतंक प्रायोजित करने वाले देशों को क्षमा करते हैं, वे पाएंगे कि यह उनके लिए ही घातक सिद्ध होता है।'
यह संबोधन न केवल पाकिस्तान को निशाने पर लेता है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी सवाल उठाता है। जयशंकर ने पूछा कि UN ने आतंकवाद जैसे मुद्दों पर कितना फर्क डाला है? उन्होंने वैश्विक शांति प्रयासों में भारत के योगदान का उल्लेख किया, जैसे समुद्री डकैती के खिलाफ कार्रवाई और उत्तरी अरब सागर में जहाजरानी की सुरक्षा। भाषण के अंत में यूएनजीए में तालियों की गड़गड़ाहट गूंजी, जो भारत के इस साहसिक रुख की स्वीकृति का प्रतीक थी।
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