छोटे कारोबारियों की अब बल्ले-बल्ले! भारत सरकार के नए कदम से अब विदेश में सामान एक्सपोर्ट करना होगा आसान

E-commerce Business: भारतीय सरकार विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को गति देने के लिए ई-कॉमर्स क्षेत्र में बड़े बदलाव की तैयारी में जुट गई है। नई नीति के तहत, अमेज़न जैसी वैश्विक कंपनियां अब भारतीय विक्रेताओं से सीधे उत्पाद खरीदकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेच सकेंगी। यह कदम भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं के बीच आया है, जहां लंबे समय से इस मुद्दे पर खींचतान चल रही थी।
वर्तमान में, ये प्लेटफॉर्म केवल मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं, जहां वे खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़कर कमीशन कमाते हैं। सीधी बिक्री पर रोक के कारण यह क्षेत्र सीमित रहा है, जो अब बदलने की कगार पर है।
छोटे कारोबारियों की बढ़ती चिंताएं
हालांकि यह नीति निर्यात को बढ़ावा देगी, लेकिन छोटे खुदरा व्यापारियों के संगठन इसे अपनी जान का दुश्मन बता रहे हैं। उनका तर्क है कि अमेज़न की वित्तीय ताकत छोटे दुकानदारों को बाजार से बाहर कर देगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, जटिल कागजी कार्रवाई और सख्त नियमों के चलते भारत के महज 10फीसदी से कम छोटे ऑनलाइन विक्रेता वैश्विक बाजारों तक पहुंच पाते हैं। प्रस्तावित 'थर्ड पार्टी एक्सपोर्ट मॉडल' में ई-कॉमर्स फर्म की एक विशेष इकाई निर्यात संभालेगी। अमेज़न का दावा है कि 2015से उसने भारतीय विक्रेताओं के 13अरब डॉलर के सामान का निर्यात संभव बनाया, और 2030तक इसे 80अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। फिर भी, संगठन बदलाव न करने की गुहार लगा रहे हैं।
नियमों की सख्ती और भविष्य की उम्मीदें
सरकार ने साफ कर दिया है कि यह छूट केवल निर्यात तक सीमित रहेगी, और उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई व भारी जुर्माना होगा। पिछले साल प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने अमेज़न पर चुनिंदा विक्रेताओं को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया था, जिसे कंपनी ने सिरे से खारिज कर दिया। यह बदलाव न केवल विदेशी निवेश को आकर्षित करेगा, बल्कि भारतीय उत्पादों को वैश्विक पटल पर चमकाने में मददगार साबित हो सकता है। कुल मिलाकर, यह कदम अवसरों के साथ चुनौतियां भी ला रहा है, जिसकी निगरानी आवश्यक होगी।
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