बिना हाथों की ताकत ने भारत को दिलाया गोल्ड मेडल, 18 साल की शीतल देवी बनी वर्ल्ड पैरा आर्चरी चैंपियन

World Para Archery Championship Sheetal Devi: भारतीय पैरा तीरंदाजी को एक नई ऊंचाई मिली है। 18 साल की शीतल देवी ने दक्षिण कोरिया के ग्वांगजू में आयोजित 2025 वर्ल्ड आर्चरी पैरा चैंपियनशिप में महिलाओं के कंपाउंड इंडिविजुअल इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। यह न केवल भारत का पैरा तीरंदाजी में पहला विश्व स्तरीय गोल्ड मेडल है, बल्कि शीतल दुनिया की पहली बिना हाथों वाली महिला तीरंदाज हैं, जिन्होंने यह खिताब हासिल किया।
फाइनल मुकाबले की रोमांचक जंग
बता दें, 27 सितंबर को हुए फाइनल में शीतल का सामना तुर्की की विश्व नंबर एक ओज्नुर क्योर गिर्दी से हुआ, जो मौजूदा चैंपियन भी थीं। यह मुकाबला 2023 पिल्सेन विश्व चैंपियनशिप के फाइनल का रीमैच था, जहां शीतल 140-138 से हार गई थीं। लेकिन इस बार शीतल ने दबाव को पीछे छोड़ दिया। पहले एंड में दोनों 29-29 से बराबर रहीं, लेकिन दूसरे एंड में शीतल ने तीन परफेक्ट 10 के साथ 30 का स्कोर बनाया जबकि गिर्दी तीन पॉइंट गंवाकर 27 पर रुक गईं। चौथे एंड में थोड़ी गलती के बावजूद अंतिम एंड में शीतल ने तीन परफेक्ट तीरों से 30 का स्कोर जोड़कर 146-143 से जीत हासिल की।
यह शीतल की इस चैंपियनशिप में तीसरी उपलब्धि थी। इससे पहले उन्होंने टोमन कुमार के साथ मिक्स्ड टीम ब्रॉन्ज (ग्रेट ब्रिटेन को 152-149 से हराया) और सरिता के साथ विमेंस ओपन टीम में रजत पदक जीता था। उनकी पिछली बड़ी सफलताओं में 2022 एशियन गेम्स में स्वर्ण, 2023 पिल्सेन में रजत और पेरिस पैरालिंपिक में मिक्स्ड टीम ब्रॉन्ज शामिल हैं।
कौन हैं शीतल देवी?
बता दें, जम्मू-कश्मीर की रहने वाली शीतल देवी का जन्म एक दुर्लभ जन्मजात विकार के कारण बिना हाथों के हुआ। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। पैरों और ठोड़ी का सहारा लेकर उन्होंने तीरंदाजी को अपनाया, जो न सिर्फ उनकी ताकत का प्रतीक है, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन चुका है। शीतल ने बताया कि बचपन से ही उन्होंने विश्व चैंपियन बनने का सपना देखा था, जिसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और शूटिंग तकनीक से सभी को हैरान कर दिया।
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