Navratri 2025: नवरात्रि के छठे दिन करें मां कात्यायनी को प्रसन्न, जानें माता का स्वरूप-मंत्र और पूजन विधि

Navratri 2025 6th Day, Maa Katyayani: शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू हो चुकी है। आज 28 सितंबर को मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। मां कात्यायनी शक्ति, साहस और नकारात्मकता पर विजय का प्रतीक हैं, जो भक्तों को सामंजस्य और शांति प्रदान करती हैं। खासतौर पर अविवाहित कन्याओं के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि मां कात्यायनी की आराधना से जीवनसाथी प्राप्ति की कामना पूरी होती है।
मां कात्यायनी का स्वरूप और महत्व
मां कात्यायनी दुर्गा मां का उग्र योद्धा रूप हैं, जो महिषासुर नामक राक्षस का संहार करने के लिए अवतरित हुईं। वे चार भुजाओं वाली देवी हैं। दाएं हाथों में वर मुद्रा (आशीर्वाद) और अभय मुद्रा (भय नाश) हैं, जबकि बाएं हाथों में खड्ग (तलवार) और कमल का पुष्प धारण किया होता है। माता की प्रिय सवारी सिंह है। वे आज्ञा चक्र की अधिष्ठात्री हैं और भक्तों में आंतरिक शक्ति जागृत करती हैं। योग साधना में यह चक्र आत्मज्ञान और भक्ति की ऊंचाई का प्रतीक है।
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख, धन-धान्य की प्राप्ति और चार पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) की सिद्धि होती है। कथा के अनुसार, कात्यायन ऋषि की तपस्या से उत्पन्न होकर मां ने राक्षसों का संहार किया, जबकि गोपियां यमुना तट पर उनकी आराधना कर भगवान कृष्ण को पति रूप में प्राप्त किया।
छठे दिन की पूजा के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त -सुबह 4:36 से 5:24 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त -दोपहर 11:48 से 12:35 बजे तक
विजय मुहूर्त -दोपहर 2:11 से 2:59 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त -शाम 6:10 से 6:35 बजे तक
अमृत काल -शाम 6:05 से 7:53 बजे तक
मां कात्यायनी की पूजन विधि
1.सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
2.इसके बाद पूजा स्थल और मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें।
3.फिर ईशान कोण में लाल या पीले वस्त्र पर मां की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। कलश सजाएं यदि व्रत हो।
4.इशके बाद गंगाजल से अभिषेक करें। अक्षत, लाल चंदन, चुनरी, सिंदूर, पीले-लाल फूल (जैसे गुलाब या गुड़हल) अर्पित करें। धूप-दीप जलाएं।
5.फिर 108 बार मंत्र का जाप करें -
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
6.इसके बाद मां को शहद, पीले फल, मिठाई या शहद युक्त हलवा चढ़ाएं।
7.आखिर में कपूर की आरती करें। दुर्गा सप्तशती या चालीसा का पाठ करें।
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