तंबाकू की कीमतों में ट्विस्ट...सिगरेट पर 40% तो बीड़ी के लिए 18 फीसदी GST फाइनल, क्या है सरकार की रणनीति?

GST On Sin Goods: भारत सरकार ने हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (GST) में बड़े बदलावों की घोषणा की है, जो 22सितंबर से लागू होंगे। इन बदलावों के तहत तंबाकू उत्पादों, जैसे सिगरेट, पान मसाला, गुटखा और जर्दा पर GST की दर को 28%से बढ़ाकर 40%कर दिया गया है। चो वहीं, बीड़ी पर GST को 28%से घटाकर 18%और बीड़ी बनाने में इस्तेमाल होने वाले तेंदू पत्तों पर टैक्स को 18%से घटाकर 5%कर दिया गया है। इस फैसले ने कई सवाल खड़े किए हैं कि जब सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों को 'हानिकारक' मानकर उन पर भारी टैक्स लगाया जा रहा है, तो बीड़ी को छूट क्यों दी गई? आइए, इस मसले को गहराई से समझते हैं।
GST में किए गए बदलाव
दरअसल, GST काउंसिल की 56वीं बैठक में 'GST 2.0' के तहत टैक्स स्लैब को सरल बनाया गया है। पहले चार स्लैब (5%, 12%, 18%, और 28%) थे, जिन्हें अब घटाकर दो स्लैब (5%और 18%) कर दिया गया है। इसके अलावा 'सिन गुड्स' (स्वास्थ्य और समाज के लिए हानिकारक माने जाने वाले उत्पाद) और लग्जरी सामानों के लिए एक नया 40%टैक्स स्लैब बनाया गया है। सिन गुड्स में सिगरेट, पान मसाला, गुटखा, कोल्ड ड्रिंक्स, और ऑनलाइन जुआ जैसे उत्पाद शामिल हैं।
इस नई व्यवस्था के तहत सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों पर 40% GST लागू होगा, जिसका मकसद इनके उपभोग को कम करना और सरकार को अधिक राजस्व जुटाना है। लेकिन बीड़ी को इस श्रेणी से अलग रखकर 18% GST स्लैब में डाला गया है, जिससे यह सस्ती हो जाएगी। यह फैसला कई लोगों के लिए हैरान करने वाला है, क्योंकि बीड़ी भी तंबाकू से बनी होती है और स्वास्थ्य के लिए उतनी ही हानिकारक है जितनी सिगरेट।
बीड़ी पर टैक्स कम क्यों?
बीड़ी पर GST कम करने के पीछे सरकार के कई तर्क और सामाजिक-आर्थिक कारण हो सकते हैं। भारत में बीड़ी उद्योग से लगभग 70लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं, जिनमें ज्यादातर ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के गरीब मजदूर हैं। बीड़ी रोलिंग एक कुटीर उद्योग है, जो विशेष रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में लाखों लोगों की आजीविका का स्रोत है। स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठनों ने सरकार से बीड़ी पर टैक्स कम करने की मांग की थी, ताकि इस उद्योग को बचाया जा सके और मजदूरों की रोजी-रोटी सुरक्षित रहे। उच्च टैक्स के कारण बीड़ी उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था, जिससे कई छोटे निर्माता और मजदूर प्रभावित हो रहे थे।
इसके अलावा बीड़ी बनाने में तेंदू के पत्तों का उपयोग होता है, जिन पर GST को 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। यह कदम बीड़ी की उत्पादन लागत को कम करता है, जिससे यह उपभोक्ताओं के लिए सस्ती हो सकती है। तेंदू पत्ते मुख्य रूप से जनजातीय समुदायों द्वारा एकत्र किए जाते हैं, और इस कदम से उनकी आय में सुधार होने की उम्मीद है। बता दें, सरकार ने बीड़ी को 'सिन गुड्स' की श्रेणी से बाहर रखा है, जबकि सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों को इसमें शामिल किया गया है। इसका एक कारण सामाजिक और सांस्कृतिक धारणा हो सकती है। बीड़ी को ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग से जोड़ा जाता है, जबकि सिगरेट को शहरी और उच्च-आय वर्ग की आदत माना जाता है। सरकार का यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन देने का प्रयास हो सकता है।
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