470KM दूर से पकड़ेगा ड्रोन-मिसाइल...भारतीय नौसेना का पहला स्वदेशी 3D सर्विलांस रडार तैयार, चुटकियों में होगा हवाई खतरों का सफाया

Swadeshi 3D Radar for Naval Defense: भारतीय नौसेना ने 11सितंबर को एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने स्पेन की रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी इंद्रा के सहयोग से विकसित पहले स्वदेशी 3D एयर सर्विलांस रडार ‘लांजा-एन’ को एक युद्धपोत पर सफलतापूर्वक कमीशन किया। यह उपलब्धि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता और ‘मेक इन इंडिया’ पहल की दिशा में एक अहम कदम है। यह रडार न केवल भारतीय नौसेना की निगरानी क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि दुश्मन के ड्रोन, जेट और मिसाइलों जैसे हवाई खतरों को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने में भी सक्षम होगा।
लांजा-एन रडार की विशेषताएं
‘लांजा-एन’ रडार स्पेन की कंपनी इंद्रा के विश्व-स्तरीय लांजा 3D रडार का नौसैनिक संस्करण है। यह एक मॉड्यूलर, सॉलिड-स्टेट और पल्स्ड टैक्टिकल रडार है, जो हवाई और सतही लक्ष्यों को उच्च सटीकता के साथ ट्रैक करने में सक्षम है।
1. लंबी दूरी की निगरानी: यह रडार लंबी दूरी तक हवाई खतरों का पता लगाने और ट्रैक करने में सक्षम है, जो इसे नौसेना के युद्धपोतों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बनाता है।
2. मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग: यह ड्रोन, फाइटर जेट, और मिसाइलों जैसे विभिन्न लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक कर सकता है, जिससे युद्ध के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया संभव होती है।
3. कठिन परिस्थितियों में कार्यक्षमता: भारतीय महासागर की नमी और गर्मी जैसी चुनौतीपूर्ण पर्यावरणीय परिस्थितियों के लिए विशेष रूप से अनुकूलित, यह रडार खराब मौसम में भी निर्बाध रूप से काम करता है।
4. सिस्टम एकीकरण: रडार को युद्धपोत की सभी प्रणालियों के साथ सहजता से एकीकृत किया गया है, जिससे इसकी परिचालन दक्षता बढ़ती है।
5. स्वदेशी योगदान: इस प्रोजेक्ट में 50%से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमता को दर्शाता है।
टाटा और इंद्रा का सहयोग
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने इंद्रा से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Transfer of Technology) के तहत इस रडार का निर्माण किया। यह पहली बार है जब लांजा-एन रडार को स्पेन के बाहर किसी देश में कमीशन किया गया है। टाटा इस रडार को असेंबल और इंटीग्रेट करने वाली पहली भारतीय निजी कंपनी बन गई है। कर्नाटक में टाटा की फैक्ट्री में इस रडार का उत्पादन किया जाएगा, जिससे भविष्य में और अधिक युद्धपोतों पर इसे तैनात किया जा सकेगा।
दुश्मन के हमलों को रोकने में सक्षम
बता दें, लांजा-एन रडार को युद्धपोत पर तैनात करने से पहले व्यापक समुद्री परीक्षणों से गुजारा गया। इन परीक्षणों में नौसैनिक और हवाई प्लेटफार्मों के रडार क्रॉस-सेक्शन की एक विस्तृत श्रृंखला का मूल्यांकन किया गया, जिसने इसकी विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को सिद्ध किया। यह रडार दुश्मन के हमलों को रोकने और नौसेना की रक्षा प्रणालियों को मजबूत करने में माहिर है।
इसके अलावा लांजा-एन रडार का कमीशन भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का एक ठोस उदाहरण है। यह न केवल विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता को कम करता है, बल्कि भारतीय रक्षा उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में भी मदद करता है। इस रडार को नौसेना के फ्रिगेट्स, डिस्ट्रॉयर, और विमानवाहक पोतों पर तैनात करने की योजना है, जिससे भारतीय नौसेना की सामरिक ताकत में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
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