दिल्ली में बच्चा तस्करी रैकेट का पर्दाफाश, 6 मासूमों की सुरक्षित वापसी; 12 आरोपी गिरफ्तार

Delhi Child Trafficking: दिल्ली पुलिस ने एक बड़े अंतरराज्यीय बच्चा चोर गैंग का पर्दाफाश करते हुए 12लोगों को गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई में छह मासूम बच्चों को सकुशल बरामद किया गया है, जिनमें से सभी एक साल से कम उम्र के हैं। यह ऑपरेशन दिल्ली पुलिस की एक विशेष टीम द्वारा गुप्त सूचना के आधार पर अंजाम दिया गया, जो बच्चों को चोरी करने के बाद उन्हें बेच देता था।
बच्चा चोर गैंग का पर्दाफाश
पुलिस के अनुसार, यह गिरोह सुनियोजित तरीके से काम करता था और मुख्य रूप से रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों को निशाना बनाता था। पुलिस ने बताया कि गिरोह के सदस्य माता-पिता का विश्वास जीतने के लिए पहले उनसे दोस्ती करते थे, खासकर उन परिवारों को निशाना बनाते थे जो आर्थिक रूप से कमजोर थे या जिनके पास छोटे बच्चे थे। इसके बाद, मौका पाकर बच्चे को चुरा लिया जाता और उसे निःसंतान दंपतियों को 2से 3लाख रुपये में बेच दिया जाता।
पुलिस ने आगे बताया कि गिरोह में महिलाओं की भी अहम भूमिका थी, जो पीड़ित परिवारों का भरोसा जीतने और बच्चों को संभालने का काम करती थीं। यह गिरोह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे व्हाट्सएप और फेसबुक के जरिए निःसंतान दंपतियों से संपर्क करता था, जहां बच्चों की तस्वीरें और जानकारी साझा की जाती थीं।
पुलिस की कार्रवाई
दरअसल, दिल्ली पुलिस को हाल ही में एक गुप्त सूचना मिली थी, जिसके आधार पर शाहबाद डेरी थाने की एक विशेष टीम ने कार्रवाई शुरू की। इंस्पेक्टर बिजय कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने तकरीबन 500 CCTV फुटेज खंगाली गई, जिसके बाद 48घंटे के अंदर एक छह महीने के बच्चे को बरामद कर लिया गया, जिसके बाद पूरे गिरोह का खुलासा हुआ। पुलिस ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और अन्य भीड़-भाड़ वाले इलाकों में छापेमारी कर 12आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। बरामद छह बच्चों में से एक बच्चे को नालंदा, बिहार से और अन्य को दिल्ली-NCR के विभिन्न हिस्सों से बचाया गया।
जांच में हुआ खुलासा
पुलिस जांच में पता चला कि इस गिरोह का नेटवर्क दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और बिहार जैसे राज्यों तक फैला हुआ था। कुछ बच्चे नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में भी तस्करी के लिए भेजे जा रहे थे। गिरोह के सरगना और उनके सहयोगी बच्चों को चुराने के बाद फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे, ताकि बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को वैध दिखाया जा सके। पुलिस उपायुक्त (रेलवे) केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि यह गिरोह बच्चों की डिमांड के आधार पर काम करता था। निःसंतान दंपतियों से संपर्क करने के बाद, वे उनकी मांग के अनुसार बच्चों को चुराते थे। इस धंधे में शामिल कुछ लोग निजी अस्पतालों और क्लीनिकों से भी जुड़े थे, जो इस अवैध व्यापार को और जटिल बनाते थे।
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