यूपी में करोड़ों का खेल...एक नाम से छह जिलों में नौकरी का फायदा उठा रहा शख्स, 9 साल तक लूटी सैलरी

UP News: उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग से एक हैरान कर देने वाला सामने आया है। यहां एक ही व्यक्ति के नाम पर छह अलग-अलग जिलों में एक साथ नौकरी चल रही थी। उसने इस तरह धांधली कर के करीब 3 करोड़ रुपये से अधिक की सैलरी जमा कर ली है। इस धांधली का खुलासा विभागीय जांच के दौरान हुआ।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह मामला 2016 की एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती से जुड़ा है। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) ने उस साल 403 एक्स-रे टेक्नीशियनों की चयन सूची जारी की थी, जिसमें अर्पित सिंह का नाम क्रमांक 80 पर था। पिता अनिल कुमार सिंह के पुत्र अर्पित सिंह, जो आगरा के प्रताप नगर शाहगंज का निवासी हैं ने एक ही नाम, पिता का नाम, पता और जन्मतिथि का इस्तेमाल करके छह अलग-अलग जिलों में नौकरी हासिल कर ली। जन्मतिथि भी सभी जगह एक ही थी, लेकिन आधार कार्ड अलग-अलग थे। इसी जालसाजी के सहारे उसने नौ साल यानी 2016 से 2025 तक अलग-अलग नाम से नौकरी की।
जानकारी के अनुसार, अर्पित सिंह को हाथरस के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के अधीन सबसे पहले तैनाती मिली। उसके बाद, एक ही पहचान के साथ वे अन्य जिलों में भी नियुक्त हो गए। प्रत्येक जिले में मासिक वेतन लगभग 54,000 रुपये था। छह जिलों से एक साथ सैलरी लेने का मतलब था कि हर महीने 3.24 लाख रुपये का फायदा। नौ सालों में यह रकम कुल 3 करोड़ 24 लाख रुपये से अधिक हो गई। कुछ रिपोर्ट्स में इसे 4 करोड़ 50 लाख रुपये तक बताया गया है, जो बोनस और अन्य भत्तों को शामिल करने पर संभव है।
कैसे पकड़ा गया फर्जीवाड़ा?
यह धांधली इतनी बारीकी से की गई कि विभाग को नौ साल तक किसी प्रकार की शिकायत या शक नहीं हुआ। लेकिन CM योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था 'किस तरह की भर्तियां होती थीं?' जिसके बाद विभाग ने पुरानी फाइलों की जांच शुरू की। जांच के दौरान पता चला कि एक ही नाम के कई 'कर्मचारी' अलग-अलग जिलों में पंजीकृत हैं, लेकिन सभी की डिटेल्स मेल खाती हैं। लखनऊ में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है, और आरोपी अर्पित सिंह के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
सूत्र बताते हैं कि यह अकेला मामला नहीं है। अर्पित के अलावा अकित, अनुकर और अंकुर जैसे नामों से भी दर्जनों फर्जी नियुक्तियां सामने आई हैं। जहां लाखों युवा रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं, वहीं ये लोग कई पदों पर वेतन उठा रहे थे। यह भ्रष्टाचार न केवल सरकारी खजाने को खोखला कर रहा है, बल्कि सच्चे उम्मीदवारों के साथ अन्याय भी है। प्रत्येक जिले में एक्स-रे टेक्नीशियन की कमी पहले से ही एक समस्या रही है, और ऐसी फर्जी नियुक्तियां वास्तविक स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित करती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां मेडिकल स्टाफ की कमी है, वहां यह धांधली मरीजों के लिए और खतरनाक साबित हो सकती है।
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