एक संपत्ति और 13 साल पुराना विवाद...पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान की जमीन पर मंडरा रहा बुलडोजर एक्शन का खतरा

Gujarat High Court Yusuf Pathan case: पूर्व भारतीय क्रिकेटर और TMC के मौजूदा सांसद यूसुफ पठान को गुजरात हाई कोर्ट की तरफ से बड़ा झटका लगा है। दरअसल, यूसुफ ने वडोदरा के तंदलजा इलाके में अपनी जमीन से जुड़े विवाद को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि जिस प्लॉट पर यूसुफ पठान ने कब्जा किया है, वह नगर निगम की संपत्ति है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि यूसुफ को ये जमीन खाली करनी होगी। इन सब के चलते ये अनुमान लगाया जा रहा है कि संपत्ति पर बुलडोजर एक्शन का खतरा मंडराने लगा है।
दरअसल, पूर्व BJP पार्षद ने लगाया था कि वडोदरा नगर निगम ने साल 2012 में यूसुफ पठान को एक प्लॉट अलॉट करने का प्रस्ताव स्वीकार किया था, जिसे राज्य सरकार को भेजा गया था। साल 2014 में गुजरात सरकार ने प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और इसे खारिज कर दिया। लेकिन, हैरानी की बात ये है कि कोर्ट के फैसले के बाद भी यूसुफ पठान ने कथित तौर पर उस प्लॉट पर कब्जा कर लिया और उसे मावेशियों के लिए शेड का रूप दे दिया।
अतिक्रमण हटाने का रास्ता साफ
वडोदरा हाईकोर्ट ने क्रिकेटर यूसुफ पठान की याचिका को सिरे से खारिज कर दिया, जिससे नगर निगम को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तेज करने का मौका मिल गया। जब स्थानीय प्रशासन ने तंदलजा इलाके में अवैध कब्जे को हटाने की प्रक्रिया शुरू की, तो पठान ने फिर से अदालत का सहारा लिया। जस्टिस मोनाबेन भट्ट की बेंच ने न सिर्फ उनकी अपील को अस्वीकार किया, बल्कि नगर निगम से सख्त सवाल भी किए कि राज्य सरकार की मंजूरी न होने के बावजूद इतने सालों तक कार्रवाई क्यों टाली गई। सहायक आयुक्त सुरेश तुवर के अनुसार, यह टीपी प्लॉट हमेशा से निगम की संपत्ति रहा है। पहले इसे आवंटित करने की कोशिश हुई थी, लेकिन सरकारी अनुमति न मिलने से प्रक्रिया रुक गई, फिर भी पठान ने इसका गैरकानूनी कब्जा जमा लिया। अब कोर्ट के इस फैसले से निगम को जमीन पर पूर्ण नियंत्रण मिल गया है।
बरहामपुर से लोकसभा चुनाव में शानदार जीत
यूसुफ पठान ने क्रिकेट के अलावा राजनीति में भी अपनी छाप छोड़ी है। 2024 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने पश्चिम बंगाल की बरहामपुर सीट से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में उतरे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को कड़ी टक्कर देकर सांसद बन गए। विशेषज्ञों का अनुमान है कि जमीन विवाद के इस मामले में पठान अब सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं, लेकिन फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश ने नगर निगम के लिए आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
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