मतदाता सूचियों की शुद्धता के लिए EC की बुलंद तैयारी, देशव्यापी SIR से पहले भ्रामक खबरों पर लगाम लगाना जरूरी

All India SIR: चुनाव आयोग (EC) पूरे देश में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया के लिए कमर कस चुका है। आयोग का मकसद बिहार एसआईआर जैसे विवादों से बचना है, इसलिए भ्रामक खबरों पर अंकुश लगाने की मुहिम तेज कर दी गई है। इसी कड़ी में शुक्रवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के मीडिया प्रभारियों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
बृहस्पतिवार को आयोग ने स्पष्ट किया कि यह प्रशिक्षण भारत के संवैधानिक चुनाव प्रक्रिया पर जोर देगा। मीडिया अधिकारियों को कानूनी, तथ्यात्मक और नियम-आधारित जानकारियां समय पर समन्वित रूप से पहुंचाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे मतदाताओं और हितधारकों को प्रामाणिक जानकारी मिलेगी, जिससे फेक न्यूज का कोई असर न पड़े। कार्यशाला में एसआईआर की बारीकियां, चुनौतियां और संभावित सवालों पर गहन चर्चा होगी।
अगले माह से शुरू हो सकती है देशव्यापी प्रक्रिया
आयोग अगले महीने से पूरे देश में एसआईआर की शुरुआत कर सकता है। एक साथ पुनरीक्षण का निर्णय मानक प्रक्रियाओं, आधुनिक तकनीकों और सुविधाओं पर आधारित है। बिहार एसआईआर का अनुभव लिटमस टेस्ट की तरह काम आएगा, जिसकी प्रस्तुति हालिया बैठक में दिखाई गई। देश में 60-70 प्रतिशत मतदाता पुरानी सूचियों में हैं, इसलिए प्रक्रिया में एक से चार महीने लगेंगे। 2002-2004 में विभिन्न राज्यों में अलग-अलग एसआईआर हुआ था, जबकि दिल्ली में 2008 में अंतिम बार यह प्रक्रिया चली। आयोग का लक्ष्य शत-प्रतिशत शुद्ध मतदाता सूचियां तैयार करना है।
राज्य-विशेष दस्तावेजों की छूट
ईसी ने राज्यों को लचीलापन दिया है कि वे अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप दस्तावेजों की सूची तैयार करें। उदाहरणस्वरूप, हिमाचल प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों के प्रमाणपत्र को वैध दस्तावेज माना जाएगा। सीमावर्ती क्षेत्रों वाले राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अपनी जरूरतों के हिसाब से दस्तावेज चुन सकते हैं। हाल में बिहार एसआईआर में आधार को 12वें वैध दस्तावेज के रूप में शामिल किया गया। यह कदम विविधता को ध्यान में रखते हुए प्रक्रिया को सरल बनाएगा।
चार चरणों में चलेगी प्रक्रिया, BLO का महत्वपूर्ण रोल
प्रक्रिया चार महीनों में चरणबद्ध तरीके से पूरी होगी। पहले महीने में गणना प्रपत्र वितरित होंगे, जिन्हें भरकर जमा किया जा सकेगा। दूसरे महीने फॉर्म जमा और अपग्रेडेशन के साथ आवेदनों की जांच होगी। तीसरे महीने मसौदा सूची जारी होने पर आपत्तियां दर्ज की जा सकेंगी। चौथे महीने अंतिम सूची तैयार हो जाएगी। देशभर में 12 लाख बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) हैं, जो प्रति पोलिंग स्टेशन औसतन 900 मतदाताओं का सत्यापन करेंगे—यह एक महीने में आसानी से संभव है। आयोग का कहना है कि वार्षिक संशोधन तो होता ही है, लेकिन एसआईआर शुद्धता की गारंटी देगा।
बिहार में चुनाव घोषणा का संकेत
बिहार में फिलहाल सघन पुनरीक्षण चल रहा है। संदिग्ध मतदाताओं को 25 सितंबर तक दस्तावेज जमा करने का समय है। दो दिनों में ही तीन लाख नोटिस जारी हो चुके हैं, ताकि वे प्रक्रिया का पालन कर नाम जोड़ सकें। दस्तावेज न देने पर नाम कट सकते हैं। आयोग के सूत्रों के अनुसार, अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में बिहार चुनाव की घोषणा संभव है। यह कदम लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक बनेगा।
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