लद्दाख में शांति लौटी, लेकिन दोषियों पर सख्त कार्रवाई; कर्फ्यू के बीच LG कविंदर गुप्ता ने विदेशी ताकतों को दी चेतावनी

LG Kavinder Gupta On Leh Violence: 24सितंबर से लद्दाख के लेह में भड़की हिंसा के बाद अब स्थिति नियंत्रण में है। चार मौतों और 80से ज्यादा घायलों के बीच उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने इसे एक सुनियोजित साजिश करार दिया। जिसमें नेपाल और डोडा से आए बाहरी तत्वों की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने बताया है कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन हिंसा फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसलिए कर्फ्यू जारी रहने के बावजूद सुरक्षा बल सतर्क हैं और केंद्र सरकार ने स्थानीय संगठनों से बातचीत का रास्ता खुला रखा है। इसके अलावा 06अक्टूबर को उच्च स्तरीय समिति की बैठक में मांगों पर चर्चा की उम्मीद है।
उपराज्यपाल ने किया साजिश का पर्दाफाश
इस बीच, एक साक्षात्कार में उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने हिंसा को 'दिल दहलाने वाला' करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कोई सहज घटना नहीं, बल्कि वेस्टेड इंटरेस्ट्स की साजिश है। उन्होंने नेपाल और डोडा से आए कई घायलों का जिक्र किया, जो स्थानीय नहीं थे और कहा कि भीड़ हिंसा के पीछे की साजिश की जांच चल रही है। बांग्लादेश और नेपाल के हालिया आंदोलनों का हवाला देते हुए उन्होंने पूछा कि युवाओं को भड़काने की कोशिश क्यों हो रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि 'लद्दाख शांति का प्रतीक है, इसे अशांति का केंद्र नहीं बनने देंगे।'
गुप्ता ने लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का सम्मान किया, लेकिन हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का भरोसा दिलाया। उन्होंने बताया कि 50से ज्यादा संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और मृतकों के लिए जिम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा। इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर सख्ती के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जनता से अपील की है कि भड़काऊ तत्वों से दूरी बनाएं और अफवाहों पर विश्वास न करें।
लेह में मौजूदा हालात
फिलहाल, 26सितंबर तक लेह में कर्फ्यू लगा हुआ है, जबकि कारगिल में पांच या इससे ज्यादा लोगों के जमावड़े पर रोक है। स्कूल और कॉलेज सप्ताहांत तक बंद रहेंगे और CRPF की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात हैं। घर-घर जांच चल रही है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है। लेह एपेक्स बॉडी ने मृतकों को 'शहीद' बताते हुए पांच मौतों का दावा किया है, जबकि कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस ने जांच की मांग की है। कांग्रेस ने केंद्र से तत्काल वार्ता की अपील की है।
लद्दाख में क्यों भड़की हिंसा?
दरअसल, लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के पांच साल बाद स्थानीय निवासियों की पुरानी मांगें—राज्य का दर्जा, आदिवासी क्षेत्रों के लिए संवैधानिक सुरक्षा, नौकरियों में आरक्षण और अलग संसदीय सीटें फिर से उफान पर आ गईं। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के बुलावे पर 24सितंबर को बंद के दौरान युवाओं ने शांतिपूर्ण विरोध की शुरुआत की, लेकिन जल्द ही यह पथराव, आगजनी और सुरक्षाकर्मियों पर हमलों में बदल गया। यहां तक कि भाजपा कार्यालय को निशाना बनाया गया और एक CRPF वाहन में आग लगा दी, डीजीपी की गाड़ी पर पत्थरबाजी भी हुई। जिसेक बाद सुरक्षाबलों ने आंसू गैस, लाठीचार्ज और गोली चलाई, जिसमें चार नागरिक मारे गए और 80से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिनमें 40पुलिसकर्मी शामिल हैं।
दूसरी तरफ, पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अपनी 35 दिनों की भूख हड़ताल तोड़ ली और हिंसा की निंदा की, लेकिन केंद्र ने उनकी संस्था का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया। वांगचुक ने इसे दमनकारी कदम बताया और कहा कि आंदोलन पीछे नहीं हटेगा। कारगिल में स्थिति शांत रही, लेकिन वहां भी सतर्कता बरती जा रही है। स्थानीय नेता 'पूर्व-नियोजित' साजिश के आरोपों को खारिज कर रहे हैं और असल मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की मांग कर रहे हैं।
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