देश की पश्चिमी सीमा को मिलेगा अटूट सुरक्षा कवच, INS Tamal युद्धपोत ज्लद पहुंचेगा करवर नेवल बेस

INS Tamal: भारतीय नौसेना का आखिरी विदेशी बैटलशिप INS तमाल, जो तलवार-क्लास का आठवां और तुशील-क्लास का दूसरा जहाज है, 10 सितंबर 2025 को करवार नौसेना बेस पहुंच रहा है। रूस के यांतर शिपयार्ड में बना यह स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट 1 जुलाई 2025 को कालिनिनग्राद में नौसेना में शामिल हुआ था।
INS Tamal की दो महीने की यात्रा में यह सेंट पीटर्सबर्ग, कैसाब्लांका, नेपल्स, सौदा बे, जेद्दाह और सलाला जैसे मित्र देशों के बंदरगाहों पर रुका, जहां इसने नौसैनिक अभ्यासों के जरिए अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। 15 अगस्त 2025 को नेपल्स में स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित भव्य परेड ने इसकी शान को और बढ़ाया। कैप्टन श्रीधर टाटा की कमान में 250 नाविकों और 26 अधिकारियों का दल इसे संचालित करेगा।
तकनीकी श्रेष्ठता और हथियारों की ताकत
125 मीटर लंबा और 3,900 टन वजनी INS तमाल 30 नॉट की रफ्तार से 3,000 किमी की यात्रा कर सकता है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस यह जहाज समुद्र और जमीन पर सैकड़ों किलोमीटर दूर लक्ष्य भेद सकता है। इसके श्टिल-1 मिसाइलें, 100 मिमी मेन गन, AK-630CIWS, टॉरपीडो और एंटी-सबमरीन रॉकेट इसे हर तरह के युद्ध के लिए तैयार करते हैं। कामोव-28 और कामोव-31 हेलिकॉप्टरों के साथ यह पनडुब्बी रोधी और हवाई निगरानी में सक्षम है। 26% स्वदेशी उपकरणों, जैसे हुम्सा-NG सोनार और ब्रह्मोस मिसाइल, के साथ यह भारत-रूस साझेदारी का प्रतीक है। न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से बचाव के लिए इसमें ऑटोमेटेड सिस्टम भी हैं।
भारत की समुद्री रणनीति का नया अध्याय
INS तमाल पश्चिमी नौसेना कमान के वेस्टर्न फ्लीट का हिस्सा बनेगा और हिंद महासागर में भारत की ताकत को मजबूत करेगा। यह जहाज पाकिस्तान और चीन जैसे खतरों से निपटने में अहम भूमिका निभाएगा। भारत-रूस की 65 साल पुरानी साझेदारी के 51वें जहाज के रूप में यह नौसेना की ताकत बढ़ाएगा। भारतीय नौसेना अब स्वदेशी जहाज निर्माण की ओर बढ़ रही है, जिसमें प्रोजेक्ट 18 के तहत रेलगन और लेजर हथियारों से लैस डेस्ट्रॉयर्स शामिल हैं। INS तमाल का आगमन विदेशी जहाजों के युग के अंत और स्वदेशी नौसैनिक शक्ति के नए दौर की शुरुआत का प्रतीक है।
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