बरेली दंगे का क्या है सच, पुलिस ने किया चौंकाने वाला खुलासा; अब NSA से दंगाइयों का होगा सफाया

Bareilly Riots: उत्तर प्रदेश के बरेली में हुई हिंसक घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है। 'आई लव मुहम्मद' नामक मार्च के दौरान भड़की हिंसा को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि सोची-समझी साजिश के तौर पर यह हिंसा की गई। पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि उपद्रवियों ने कम से कम पांच दिनों से इसकी प्लानिंग कर रहे थे, जिसका मकसद सामाजिक सद्भाव को तोड़ना और अराजकता फैलाना था। योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगाने की तैयारी शुरू कर दी है, जो राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कैसे शुरु हुई हिंसा?
25 सितंबर को बरेली के शाह मस्जिद इलाके में 'आई लव मुहम्मद' पोस्टर विवाद को लेकर एक शांतिपूर्ण मार्च का आयोजन किया गया था। लेकिन जल्द ही यह जुलूस हिंसा में बदल गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिसके जवाब में बल प्रयोग करते हुए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस दौरान कई लोग घायल हुए, और शहर के कई इलाकों में तनाव फैल गया। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, हिंसा की शुरुआत कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा उकसावे से हुई, जो पहले से ही भड़काऊ नारों और प्लेकार्ड्स के जरिए माहौल गरमा रहे थे। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मंच से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जान से मारने की धमकी भी दी गई, जो इस घटना को और गंभीर बनाती है।
पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए घटनास्थल पर भारी संख्या में जवान तैनात कर दिए। अब तक 30 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि 60 पत्थरबाजों को हिरासत में लिया गया। इसके अलावा, 1700 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जो पुलिस की व्यापक जांच का संकेत देते हैं। बरेली पुलिस ने छापेमारी अभियान तेज कर दिया है, और उपद्रवियों की तलाश में विभिन्न ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं।
हिंसा के बाद पुलिस का बड़ा खुलासा
सबसे चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने जांच में पाया कि यह हिंसा कोई आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि पांच दिनों से चली आ रही सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी। सूत्रों के मुताबिक, कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने सोशल मीडिया और गुप्त बैठकों के जरिए लोगों को भड़काया, ताकि मार्च को हिंसक रूप दिया जा सके। बरेली एसएसपी ने स्पष्ट किया कि यह 'उकसावे वाली प्रक्रियाओं' का नतीजा था, जो राज्य की शांति को भंग करने का प्रयास था।
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे 'योजनाबद्ध षड्यंत्र' करार देते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं के पीछे छिपे तत्वों को बख्शा नहीं जाएगा। इस साजिश में कुछ धार्मिक नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं, जिन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने तौकीर रजा जैसे व्यक्तियों पर एनएसए लगाने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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