बांग्लादेश हिंसा के बीच देश लौटे तारिक रहमान, BNP की नीतियों पर टिकी जनता की नजरें
Bangladesh News: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के समर्थक 17 साल बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक रहमान की देश वापसी का जश्न मना रहे हैं। इस बीच अब चर्चा इस बात की गई है कि अगर आगामी चुनावों में BNP सत्ता में आती है, तो तारिक रहमान के नेतृत्व में पार्टी किस तरह की नीतियां अपनाएगी। राजनीतिक जानकारों की मानें तो BNP को इस समय चुनावों में सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। अगर पार्टी जीत दर्ज करती है, तो तारिक रहमान के सामने देश की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी कि राजनीतिक, आर्थिक और संस्थागत दबावों से जूझ रहे बांग्लादेश को संभालना।
मजबूत राजनीतिक का मिला संकेत
तारिक रहमान ने हाल के महीनों में कई भाषणों और सार्वजनिक बयानों के माध्यम से अपने शासन के विजन को सामने रखा है। 27 दिसंबर, 2025 को तारिक रहमान अपना वोटर रजिस्ट्रेशन और नेशनल आइडेंटिटी कार्ड (NID) से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी करेंगे। इसे सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक मजबूत राजनीतिक संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है। विदेश नीति को लेकर तारिक रहमान का रुख साफ नजर आता है। मई महीने में एक भाषण के दौरान उन्होंने चुनाव और संस्थागत सुधारों की जरूरत पर जोर दिया था। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि बिना जनादेश के मोहम्मद यूनुस को लंबे समय के विदेशी नीति फैसले लेने का अधिकार कैसे हो सकता है।
भारत-बांग्लादेश के रिश्ते हैं अहम
तारिक रहमान ने कहा कि BNP के लिए बांग्लादेश का राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर रहेगा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि न दिल्ली, न पिंडी-सबसे पहले बांग्लादेश। ढाका के नया पलटन इलाके में एक बड़ी रैली के दौरान उन्होंने समर्थकों से इस नारे को दोहराने की अपील भी की। ये रुख मौजूदा अंतरिम नेतृत्व की विदेश नीति से अलग माना जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में भारत के साथ करीबी रिश्ते रहे, साथ ही चीन से संतुलन और पाकिस्तान से दूरी बनाए रखी गई। वहीं, मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के साथ रिश्ते मजबूत करने की बात कही है, जिससे भारत-बांग्लादेश संबंधों में ठंडापन आया है।
कानून-व्यवस्था भी बना मुद्दा
देश की कानून-व्यवस्था भी तारिक रहमान के एजेंडे में अहम मुद्दा है। उन्होंने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सतर्क रहने की सलाह दी है। उनका कहना है कि देश के कई हिस्सों में अराजकता के संकेत दिख रहे हैं और कुछ ताकतें अशांति फैलाने की कोशिश कर रही हैं। अपने परिवार की राजनीतिक विरासत का जिक्र करते हुए तारिक रहमान ने कहा कि उनके पिता जियाउर रहमान ने देश को संकट से बाहर निकाला था, जबकि उनकी मां और BNP प्रमुख खालिदा जिया ने 1991 में बांग्लादेश को तानाशाही से बाहर निकालकर विकास की राह पर आगे बढ़ाया।
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