SUVs की बढ़ती बेतहाशा मांग पर्यावरण के लिए खतरा, क्या अब इन पर लगेगा प्रतिबंध?

SUVs Rising Sale In India: आजकल एसयूवी कारों का क्रेज इतना बढ़ गया है कि कंपनियां 5लाख रुपये से कम कीमत में भी माइक्रो एसयूवी लॉन्च कर रही हैं। सड़कों पर इनका दबदबा साफ नजर आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एसयूवी की बढ़ती बिक्री पर्यावरण के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है?
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 2024में दुनियाभर में बिकने वाली कारों में 54%एसयूवी थीं। यह आंकड़ा 2023की तुलना में 3%और 2022की तुलना में 5%अधिक है। हालांकि, एसयूवी की बढ़ती बिक्री के साथ ही ईंधन की खपत और कार्बन उत्सर्जन भी तेजी से बढ़ रहा है।
ज्यादा ईंधन खपत और पर्यावरणीय असर
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के मुताबिक, दुनियाभर में 95%एसयूवी कारें पेट्रोल और डीजल पर चलती हैं। इनका बड़ा आकार और भारी वजन ज्यादा ईंधन की खपत करता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है। इलेक्ट्रिक एसयूवी भी पूरी तरह से पर्यावरण के लिए सुरक्षित नहीं हैं। इनकी बड़ी बैटरी के निर्माण में लीथियम जैसी दुर्लभ धातुओं की अधिक आवश्यकता होती है, जिससे खनन और बैटरी उत्पादन का नकारात्मक असर पड़ता है।
छोटी कारें बेहतर विकल्प हो सकती हैं
छोटी कारें भी प्रदूषण फैलाती हैं, लेकिन एसयूवी की तुलना में इनकी ईंधन खपत और कार्बन उत्सर्जन कम होता है। वे सड़क पर कम जगह घेरती हैं और ज्यादा फ्यूल-इफिशिएंट होती हैं। इसके बावजूद, छोटी कारों की बिक्री लगातार घट रही है। 2018में यूरोप में 32.7लाख छोटी कारें बिकी थीं, जो 2024में घटकर 21.3लाख रह गईं। दूसरी ओर, एसयूवी की बिक्री 2018में 15लाख से बढ़कर 2024में 25लाख हो गई।
क्या SUV पर प्रतिबंध लगाना सही होगा?
एसयूवी की बिक्री पर रोक लगाना आसान नहीं है। कंपनियां बाजार की मांग के अनुसार उत्पादन करती हैं। एक बेहतर समाधान यह हो सकता है कि सरकारें लोगों को छोटी और इलेक्ट्रिक कारें खरीदने के लिए प्रेरित करें। टैक्स छूट, सब्सिडी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार जैसे कदम उपभोक्ताओं को कम प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की ओर आकर्षित कर सकते हैं।
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