जहर बन गई खांसी की दवा, छिंदवाड़ा में किडनी इंफेक्शन से अब तक 9 मासूमों ने तोड़ा दम; सिरप पर बैन की मांग

Chhindwara Cough Syrup Poisoning: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में खांसी की सिरप से जुड़ी त्रासदी ने अब भयावह रूप ले लिया है। पिछले 24घंटों में दो और बच्चों की मौत हो गई, जिससे कुल आंकड़ा 9पहुंच गया। ये बच्चे किडनी इंफेक्शन और फेलियर की चपेट में आ गए, जो शुरुआती जांच में कंटैमिनेटेड कफ सिरप से जुड़ा माना जा रहा है। स्थानीय प्रशासन ने दो सिरप - कोल्डरिफ और नेक्सट्रो-डीएस – पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) की टीम सैंपल जांच में जुटी है। यह घटना राजस्थान के समान मामलों से जुड़कर पूरे देश में दवा सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही है।
छिंदवाड़ा में 9बच्चों की मौत
दरअसल, छिंदवाड़ा जिले के परासिया, दीघवानी और आसपास के इलाकों में अगस्त के अंत से बच्चों में हल्का बुखार और खांसी के लक्षण दिखने लगे। स्थानीय डॉक्टरों ने सामान्य इलाज के तहत कफ सिरप दिए, लेकिन कुछ दिनों बाद बच्चों की हालत बिगड़ने लगी। पेशाब रुकना, शरीर में सूजन, लगातार उल्टी और कमजोरी जैसे लक्षण उभरे, जो किडनी फेलियर की ओर इशारा करते थे। अधिकांश बच्चे 1से 7साल के थे, जिन्हें निजी अस्पतालों में नागपुर (महाराष्ट्र) रेफर किया गया, लेकिन कई को बचाया नहीं जा सका।
पहली मौत 07सितंबर को हुई, जब एक दो साल के बच्चे ने सिरप पीने के बाद किडनी बंद हो गई। उसके बाद 4से 26सितंबर के बीच छह और मौतें दर्ज हुईं। ताजा दो मौतें 02अक्टूबर को हुईं – एक चार वर्षीय विकास यादवांशी (दीघवानी गांव) और एक तीन वर्षीय बच्ची, जो नागपुर के अस्पताल में दम तोड़ चुकीं। परिवारों का आरोप है कि सिरप पीने के बाद बच्चे पहले ठीक लगे, लेकिन अचानक उनकी सांसें थम गईं। अब तक 9मौतों के अलावा 15से अधिक बच्चे गंभीर रूप से बीमार हैं, जिनमें से कुछ वेंटिलेटर पर हैं। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से सैंपल कलेक्ट किए गए हैं, और पानी तथा पर्यावरणीय नमूनों की भी जांच हो रही है।
राजस्थान से जुड़ा हुआ है मामला?
राजस्थान में मुफ्त दवा योजना के तहत वितरित की जा रही खांसी की सिरप से अब तक तीन बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 13 से ज्यादा बच्चे गंभीर रूप से बीमार पड़ चुके हैं। यह सिरप का नाम डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड है, जिसे जयपुर स्थित कायसन फार्मा कंपनी द्वारा बनाया गया। जिसके 22 बैचों पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस कंपनी की एक अन्य दवा पर 2023 में गुणवत्ता खराब होने के कारण बैन लग चुका था, फिर भी इसे दोबारा टेंडर में शामिल किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने सप्लाई रोक दी है और सैंपल जांच जारी है, लेकिन लापरवाही के आरोपों से सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं।
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