Nobel Prize 2025: मेडिकल फील्ड में नोबेल प्राइज की हुई घोषणा, इम्यून सिस्टम के रहस्य सुलझाने वाले वैज्ञानिकों को मिला सम्मान

Medical Nobel Prize 2025: नोबेल फाउंडेशन ने आज 06अक्टूबर को चिकित्सा के क्षेत्र में 2025के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की है। इस साल का पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिकों मैरी ई. ब्रुनको और फ्रेड रामस्डेल के साथ-साथ जापानी इम्यूनोलॉजिस्ट शिमोन साकागुची को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है। यह सम्मान उनकी उस अभूतपूर्व खोज के लिए है, जिसने इम्यून सिस्टम के नियंत्रण तंत्र को समझने में योगदान दिया है। नोबेल सभा ने इसे "इम्यून सिस्टम के संतुलन की खोज" के रूप में रेखांकित किया, जो ऑटोइम्यून रोगों, कैंसर और अन्य जटिल बीमारियों के उपचार में नए द्वार खोलती है।
इम्यून सिस्टम का नियंत्रण
मानव इम्यून सिस्टम शरीर को बाहरी खतरों से बचाने का काम करती है, लेकिन अगर यह अनियंत्रित हो जाए, तो यह स्वयं के ऊतकों पर हमला कर सकती है, जिससे ऑटोइम्यून रोग जैसे रूमेटॉइड आर्थराइटिस, ल्यूपस और टाइप 1डायबिटीज उत्पन्न होते हैं। इसके विपरीत, कैंसर के मामले में यह प्रणाली कभी-कभी ट्यूमर कोशिकाओं को पहचानने में विफल हो जाती है। तीनों वैज्ञानिकों ने नियामक टी-कोशिकाओं (Regulatory T-cells) की भूमिका को समझने में क्रांतिकारी योगदान दिया, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित रखने में 'नियंत्रक' की तरह काम करती हैं।
1. मैरी ई. ब्रुनको:हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से जुड़ीं ब्रुनको ने 1980के दशक में नियामक टी-कोशिकाओं की खोज की, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को अति सक्रियता से रोकती हैं। उनके शोध ने दिखाया कि ये कोशिकाएं अनावश्यक सूजन को नियंत्रित करती हैं, जिससे ऑटोइम्यून रोगों की रोकथाम संभव हो सकती है। बता दें, 65वर्षीय मैरी ई. ब्रुनको ने अपनी शुरुआत छोटे-छोटे प्रयोगों से की, जिसमें उन्होंने चूहों की प्रतिरक्षा प्रणाली का अध्ययन किया।
2. फ्रेड रामस्डेल:वाशिंगटन विश्वविद्यालय के आणविक जीवविज्ञानी रामस्डेल ने फॉक्सप3 (FOXP3) जीन की खोज की, जो इन नियामक कोशिकाओं के निर्माण और कार्य के लिए महत्वपूर्ण है। उनकी खोज ने प्रतिरक्षा प्रणाली के आणविक आधार को समझने में मदद की। बता दें, 58वर्षीय रामस्डेल ने फॉक्सप3जीन की खोज के साथ इम्यूनोलॉजी में एक नया अध्याय जोड़ा।
3. शिमोन साकागुची:क्योटो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर साकागुची ने 1990के दशक में इन कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को और गहराई से समझाया। उन्होंने सिद्ध किया कि इन कोशिकाओं की कमी से ऑटोइम्यून रोग हो सकते हैं और इन्हें नियंत्रित कर कैंसर के खिलाफ प्रभावी इम्यूनोथेरेपी विकसित की जा सकती है। 67वर्षीय साकागुची ने एलर्जी अनुसंधान से शुरुआत की और बाद में नियामक टी-कोशिकाओं पर ध्यान केंद्रित किया।
नोबेल समिति ने कहा 'इन वैज्ञानिकों ने प्रतिरक्षा प्रणाली के 'चालू और बंद' तंत्र को समझने का रास्ता दिखाया, जिसने चिकित्सा विज्ञान को नया आयाम दिया।' उनकी खोज ने कैंसर के लिए इम्यून चेकपॉइंट इन्हिबिटर्स और ऑटोइम्यून रोगों के लिए लक्षित उपचारों का आधार तैयार किया है।
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