Explained: क्या है नकबा, जिसने लाखों फिलिस्तीनियों को घर छोड़ने पर किया मजबूर, अरब देशों ने रची साजिश?
Israel Hamas War: गाजा में फिलिस्तीनियों के लिए मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक तरफ इजराइल उनसे घर खाली करने को कह रहा है तो दूसरी तरफ आतंकी संगठन हमास उन्हें वहीं रहने की धमकी दे रहा है। कोढ़ में खाज की तरह समस्या यह हो गई है कि हमेशा सहानुभूति दिखाने वाले पड़ोसियों में से कोई भी गाजा पट्टी के लोगों को शरण नहीं दे रहा है। वास्तव में, यह स्पष्ट रूप से निषिद्ध है। ये पूरा नजारा 7 दशक पुराने सर्वनाश की याद दिलाता है।
क्या मिस्र और जॉर्डन गाजा के खिलाफ हैं?
नहीं, इसके अलावा, उन्हें इन लोगों से पूरी सहानुभूति है। मुस्लिम ब्रदरहुड जैसी बातें लगातार होती रहती हैं। ईरान जैसे देश भी इजराइल को धमकी दे रहे हैं। लेकिन ये सब सतही है। बेघर गज़ावासियों को कोई भी अपने घरों में नहीं बसाएगा।
कारण क्या है
अरब देश इसके पीछे अरब लीग के प्रस्ताव की बात करते हैं। इस प्रस्ताव का मानना है कि अरब देशों को फ़िलिस्तीनियों को 'अपने देश' की नागरिकता दिलाने में समर्थन करना चाहिए। अरब देशों का तर्क है कि अगर वे फिलिस्तीन के लोगों को अपने देशों में नागरिक अधिकार देना शुरू कर देंगे तो यह फिलिस्तीन को नष्ट करने जैसा होगा। लोग भागकर बाहर बसने लगेंगे और फ़िलिस्तीन पर पूरी तरह से इज़रायल का कब्ज़ा हो जाएगा।
पेपर की भी समस्या बनी हुई है
गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक और येरुशलम में रहने वाले फिलिस्तीनियों को इजरायल का स्थायी नागरिक माना जाता है। उनके पास इजरायली दस्तावेज हैं। अगर वे उन्हें छोड़कर फ़िलिस्तीनी होने के आधार पर दूसरी नागरिकता लेना चाहते हैं तो फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी उन्हें कुछ दस्तावेज़ देती है।इन कागजों का इस्तेमाल सिर्फ यात्रा के लिए किया जा सकता है। इनके आधार पर यह साबित नहीं किया जा सकता कि वे फ़िलिस्तीनी हैं। इसका मतलब यह है कि इजरायली नागरिकता छोड़ने के बाद अब वे कहीं और के नागरिक नहीं हैं। ऐसे में अरब देश उन्हें किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करते।
क्या यूरोप उन्हें आश्रय दे सकता है?
शरणार्थियों को लेकर अक्सर बड़ी-बड़ी बातें करने वाला यूरोप भी इस बार खामोश है। दरअसल, वहां पहले से ही शरणार्थियों की एक बड़ी आबादी मौजूद है। फ़्रांस और जर्मनी में भी ऐसी कई घटनाएँ घटीं, जिन्हें मुस्लिम चरमपंथी शरणार्थियों ने अंजाम दिया। तब से, यूरोप मुसलमानों की मेजबानी को लेकर विशेष रूप से घबराया हुआ है। सरकारें भी आम लोगों के गुस्से से डरी हुई हैं और उन्होंने सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी है। ऐसे में इसकी संभावना कम है कि गाजा के लोगों को अंदर लाया जाएगा।
नकबा का जिक्र क्यों किया गया?
कुल मिलाकर, अगर गाजा पट्टी से लोग भाग भी जाएं, तो उनके पास रहने के लिए दूसरा घर तो दूर, कोई दूसरा देश भी नहीं होगा। इस बीच, नकबा की चर्चा हो रही है। इस अरबी शब्द का अर्थ है विनाश। इसका प्रयोग पहली बार मई 1948 में किया गया था।इजराइल का गठन हुआ और अगले ही दिन 15 मई को फिलिस्तीनियों को मुख्य भूमि छोड़नी पड़ी। रातों-रात लाखों लोग बेघर हो गए। कई फ़िलिस्तीनियों ने अपनी संपत्तियाँ बेच दीं। कई लोग इस उम्मीद में गए थे कि वे जल्द ही फिर से घर लौट सकेंगे। हालाँकि ऐसा नहीं हुआ।
एक साथ लाखों विस्थापन
घर पर लटके ताले प्रलय की याद दिलाने लगे। अगले एक साल के अंदर करीब 7.5 लाख फिलिस्तीनियों ने अपना देश छोड़ दिया था। इस बीच कई नरसंहार भी हुए।
अरब देशों का आरोप है कि यहूदियों ने मुस्लिम इलाकों में बम विस्फोट किए, लूटपाट की और गांवों को नष्ट कर दिया। इज़राइल के मध्य में रहने वाले यहूदियों को गाजा और वेस्ट बैंक की ओर विस्थापित कर दिया गया। निष्कासन और विस्थापन आने वाले कई वर्षों तक जारी रहा। आंतरिक विस्थापन भी जारी रहा।
नकबा की शुरुआत नब्बे के दशक में
नब्बे के दशक के अंत में पूर्व फिलिस्तीनी राष्ट्रपति यासर अराफात ने नकबा दिवस की शुरुआत की थी। यह शोक का दिन है, जब फिलिस्तीनी अपने घरों से निष्कासन और नरसंहार को याद करते हैं।
इस तस्वीर का एक और चेहरा है
इजराइल का कहना है कि नकबा के पीछे फिलिस्तीनी कहानी पूरी तरह से गलत है। वहां के लोग यहूदियों के कारण नहीं, बल्कि अरब देशों के हमलों के कारण भागे थे। दरअसल, यहूदियों को इजराइल को सौंपने के खिलाफ 6 अरब देशों ने एक साथ हमला बोल दिया था।
इस दौरान भारी तबाही मची और यहूदियों के साथ-साथ वहां रहने वाले फिलिस्तीनियों को भी मारा जाने लगा। इस हमले से बचने के लिए वह देश छोड़कर भाग गये। इस समय पश्चिम के कई देश भी उन्हें बसने का मौका दे रहे थे। इसलिए अरबों के खिलाफ युद्ध में इजराइल का साथ देने की बजाय ये लोग भागने लगे। बाद में नकबा की कहानी इसलिए रची गई ताकि सभी को सहानुभूति मिल सके। लेकिन ये इतना विवादास्पद सिद्धांत है जिसके बारे में कोई भी निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकता।
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