Bhai Dooj: भाई या बहन के नहीं होने पर कैसे मनाएं भाई दूज? जानें टीका का शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

Bhai Dooj 2025: भाई दूज हिंदू धर्म में भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है, जो दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को सुरक्षा और स्नेह का वचन देते हैं। 2025में भाई दूज 23अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जा रही है। इस दिन द्वितीया तिथि का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:13बजे से 3:28बजे तक रहेगा, जिसमें तिलक करना सबसे उत्तम माना जाता है। लेकिन कई लोग इसी दुविधा में उलझ जाते है कि जिनके भाई या बहन नहीं होते, वो लोग भाई दूज का त्योहार कैसे मनाएंगे। तो चलिए आपको इस दुविधा का समाधान बताते हैं।
बिना भाई या बहन के भाई दूज कैसे मनाएं?
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार में है, लेकिन अगर परिवार में कोई सगा भाई या बहन न हो, तो इसे रिश्तेदारों या दोस्तों के साथ ये त्योहार मनाकर उसी भावना के साथ मनाया जा सकता है।
- चचेरे-ममेरे भाई-बहनों के साथ मनाएं:अगर सगे भाई-बहन न हों, तो चाचा, मामा या फूफा की बेटी/बेटे को बहन/भाई मानकर तिलक कर सकते हैं। इससे परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बंधन मजबूत होता है और त्योहार की खुशी दोगुनी हो जाती है।
- पिता, चाचा या दोस्तों को भाई मानें:बहनें अपने पिता, चाचा या किसी करीबी पुरुष मित्र को भाई के रूप में चुन सकती हैं। इसी तरह, भाई अपनी चाची, मौसी या दोस्त की बहन से तिलक करवा सकते हैं। यह तरीका न केवल त्योहार को जीवंत रखता है बल्कि नए रिश्ते भी बनाता है।
अगर कोई करीबी न हो, तो यमराज या चंद्रमा को भाई मानकर पूजा की जा सकती है, लेकिन मुख्य रूप से इसे परिवार के विस्तार के रूप में देखें। अगर भाई या बहन दूर हों, तो वीडियो कॉल के जरिए तिलक का आदान-प्रदान करें या उपहार भेजें। इन तरीकों से भाई दूज का सार - प्रेम और सुरक्षा - बरकरार रहता है, भले ही पारंपरिक रूप से सगे भाई-बहन न हों। याद रखें, त्योहार रिश्तों को जोड़ने के लिए है, न कि सीमित करने के लिए।
तिलक करने की सही विधि
भाई दूज पर तिलक करने का विशेष महत्व है. जो बहन द्वारा भाई के माथे पर लगाया जाता है। इसे सही तरीके से करने से पूजा का फल मिलता है।
- पूजा की तैयारी के लिए एक थाली सजाएं, जिसमें रोली (कुमकुम), अक्षत (चावल), फूल, सुपारी, नारियल, कलावा, सिक्का, मिठाई और दीपक रखें। इस दौरान बहनें व्रत रखती हैं और कुछ नहीं खातीं।
- इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश जी की पूजा करें। फिर, भाई के माथे पर चंदन, रोली या कुमकुम से तिलक लगाएं। इसमें हल्दी और गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं। दाहिने हाथ की अनामिका यानी हाथ की सबसे छोटी उंगली से तिलक लगाएं।
- तिलक लगाते समय "यम द्वितीयाय नमः" या "आयुष्मान भव" मंत्र बोलें, जो भाई की लंबी आयु की कामना करता है।
- आखिर में भाई को मिठाई खिलाएं, आरती उतारें और उपहार दें। भाई बहन को आशीर्वाद और तोहफा दे। व्रत का समापन भाई को भोजन कराकर करें।
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