पाकिस्तानी सेना की नापाक हरकतों का गवाह बना तिराहा घाटी, मासूमों की मौत पर उठे सवाल; गुस्से में पाक की जनता

Pakistani Army Attack On Khyber Pakhtunkhwa: पाकिस्तानी सेना के कथित अत्याचारों को अब पूरी दुनिया देख रही है। जो पाकिस्तानी जनता 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत से जवाब मांग रही थी, वहीं अब अपने ही मुल्क से सवाल कर रही है। दरअसल, पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा स्थित तिराह घाटी में पाकिस्तानी वायु सेना ने अपने ही नागरिकों पर हमला कर दिया, जिसमें 30 मासूमों की जान चली गई।
इस इंसानियत को शर्मशार कर देने वाली घटना के बाद पाकिस्तानी आवाम में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है, खासकर आफरीदी कबीले के लोगों में। सोशल मीडिया पर लोग बच्चों की डेड बॉडी की तस्वीरें साझा कर रहे हैं और सवाल कर रहे हैं कि "क्या ये मासूम भी आतंकवादी थे?"मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का भी कहना है कि झूठे दुष्प्रचार से नरसंहार के सच को नहीं छिपाया जा सकता। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस घटना को लेकर आवाज़ उठने लगी है और पाकिस्तानी सेना की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
JF-17 लड़ाकू विमानों से आठ बम गिराए गए
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की तिराह घाटी एक भीषण सैन्य कार्रवाई का शिकार बनी, जहां पाकिस्तानी वायुसेना ने JF-17 लड़ाकू विमानों से आठ बम गिराए। इस हमले में कम से कम 30 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिनमें महिलाएं और मासूम बच्चे भी शामिल हैं। पीटीआई नेता अब्दुल गनी आफरीदी और अन्य स्थानीय प्रतिनिधियों ने इसे सेना का ‘नरसंहार’ करार दिया है। आफरीदी का कहना है कि जिन रक्षकों पर भरोसा किया गया, उन्होंने ही बच्चों, महिलाओं और युवाओं को बेरहमी से मार डाला।
सोशल मीडिया पर विरोध
घटना के बाद से पाकिस्तानी आवाम में जबरदस्त गुस्सा है। सोशल मीडिया पर बच्चों की लाशों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं और लोग सवाल पूछ रहे हैं — "क्या ये मासूम भी आतंकवादी थे?"। रिपोर्टर फिरोज बलोच और मानवाधिकार कार्यकर्ता जहनवाज वेशा ने तस्वीरें साझा कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से हस्तक्षेप की मांग की है। एमक्यूएम नेता मुस्तफा अजीजबादी और अन्य राजनीतिक हस्तियों ने भी सरकार और सेना की आलोचना करते हुए पूछा है कि क्या अब पाकिस्तान में गरीब बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं रह गई?
सरकार की स्वीकारोक्ति और मुआवजे की घोषणा
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तानी सेना ने जिन घरों को निशाना बनाया, वे आम नागरिकों के थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न जाहिर करते हुए बताया कि चार घर पूरी तरह तबाह हो गए। मामले पर बढ़ते दबाव के बीच, खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने घटना को ‘गलती’ मानते हुए मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। हालांकि, जनता और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह मुआवजा नहीं, बल्कि एक बड़े अपराध पर पर्दा डालने की कोशिश है।
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