Pakistan: 4 साल बाद नवाज शरीफ की हो रही है वतन वापसी, क्या इसका असर पड़ेगा आगामी आम चुनाव पर?

Pakistan Nawaz Sharif: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में एक बार फिर राजनीतिक हलचल बढ़ने वाली है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ चार साल के निर्वासन के बाद आज पाकिस्तान लौटेंगे। वह पिछले 4 साल से लंदन में रह रहे थे और वहीं अपनी बीमारी का इलाज करा रहे थे। उनकी पाकिस्तान वापसी आगामी विधानसभा चुनाव से पहले है और वह भी ऐसे समय में जब उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और पूर्व पीएम इमरान तोशा खाना मामले में जेल में हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इसका पाकिस्तान की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा।
नवाज शरीफ की पाकिस्तान वापसी ऐसे वक्त हुई है जब चुनाव आयोग ने देश में आम चुनाव की घोषणा कर दी है। पाकिस्तान में जनवरी 2024 के आखिरी हफ्ते में चुनाव होंगे। फिलहाल पाकिस्तान के प्रशासनिक कामकाज की कमान कार्यवाहक प्रधानमंत्री के हाथ में है। नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और चार साल से लंदन में स्वघोषित निर्वासन में रह रहे थे। पाकिस्तान में उनकी पार्टी का नेतृत्व उनकी बेटी मरियम नवाज़ और भाई शाहबाज़ शरीफ़ कर रहे थे।
पाकिस्तान में नवाज शरीफ क्यों हैं अहम?
नवाज शरीफ पाकिस्तान की संख्यात्मक रूप से सबसे बड़ी पार्टी पीएमएल-एन के प्रमुख और संस्थापक हैं। पीएमएल-एन पाकिस्तान संसद में सभी गठबंधन दलों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। अपनी अनुपस्थिति में भी, शाहबाज शरीफ ने अपनी बेटी मरियम और भाई शाहबाज शरीफ की मदद से 2022 में अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और पाकिस्तान के करिश्माई नेता इमरान खान को सत्ता से बाहर कर दिया।
हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इमरान खान को सत्ता से हटाने के पीछे सेना का भी हाथ था, क्योंकि इमरान को सरकार में सेना का दखल पसंद नहीं था। उन्होंने कई बार मंच से पाकिस्तानी सेना की खुलकर आलोचना भी की। ऐसे में सेना पीएमएल-एन की स्वाभाविक सहयोगी बनकर उभरी। कोविड के बाद से पाकिस्तान आर्थिक मोर्चे से लेकर राजनीतिक मोर्चे तक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है।
क्या नवाज शरीफ ला सकते हैं पाकिस्तान के हालात में बदलाव?
पाकिस्तान की राजनीति को समझने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक, पाकिस्तान को इन दिनों सबसे पहली जरूरत राजनीतिक स्थिरता की है। यह स्थिरता केवल वही व्यक्ति प्रदान कर सकता है जो राज्य के प्रशासन को समझने की उचित क्षमता रखता हो और पहले भी इन समस्याओं का सामना कर चुका हो। नवाज शरीफ को पाकिस्तान में एक ऐसा नेता कहा जाता है जो विदेश नीति से लेकर सेना तक हर चीज में समन्वय बनाकर प्रशासन चलाने के लिए जाने जाते हैं।
पाकिस्तानी पत्रकारों का मानना है कि उनके आने से राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट, बलूचिस्तान क्षेत्र में विद्रोह, सेना के साथ समन्वय, तालिबान के साथ समस्या और कर्ज की समस्या से जूझ रहे पाकिस्तान को आत्मविश्वास मिलेगा। क्योंकि इससे पहले भी वह इन समस्याओं से जूझ चुके हैं। सेना ने एक बार विद्रोह कर उन्हें उनके पद से हटा भी दिया था।
पाकिस्तान पहुंचते ही नवाज शरीफ करेंगे रैली
4 साल के निर्वासन के बाद तुरंत अपने देश लौटे नवाज शरीफ लाहौर में अपने समर्थकों के बीच एक रैली को संबोधित करेंगे। जानकारों का कहना है कि नवाज इस रैली में जो कुछ भी कहेंगे वह आने वाले चुनाव में पीएमएल-एन के लिए पहला संकेत होगा। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि एक तरफ नवाज शरीफ के समर्थक उनके स्वागत की तैयारी में फूल लेकर खड़े हैं तो दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियां पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (PTI) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP)भी सियासी तीरों के साथ तैयार हैं।
क्या पाकिस्तान में निष्पक्ष होंगे चुनाव?
नवाज शरीफ के पाकिस्तान लौटने से पहले पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां ये सवाल पूछ रही हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) ने नवाज शरीफ की आलोचना करते हुए कहा, एक व्यक्ति की वापसी से संविधान, चुनाव और लोकतंत्र रुक गया है। उन्होंने कहा, सिर्फ नवाज शरीफ के लिए चुनाव में देरी करना लोकतंत्र का अपमान है। वहीं पीटीआई प्रमुख इमरान खान ने कहा, चुनाव आयोग नवाज शरीफ का है, चुनाव तभी होंगे जब वह चाहेंगे और नवाज तब तक चुनाव नहीं होने देंगे जब तक नवाज शरीफ को भरोसा नहीं हो जाता कि वह चुनाव जीत सकते हैं।
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