Pitru Paksha 2023: एक नहीं 12 प्रकार के होते हैं श्राद्ध, जानें क्या है इनका महत्व

Pitru Paksha 2023: 29 सितंबर से पितृ पक्ष शुरु हो चुका है। 15 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पितरों, पूर्वजों का श्राद्धकरते हैं और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट की जाती है। हिंदू धर्म में श्राद्ध का बहुत महत्व बताया गया है। लेकिन क्या आपको पता है श्राद्ध कितने प्रकार का होते हैं। भविष्य पुराण में श्राद्ध के 12 प्रकार के बताए गए हैं। लेकिन इनमें तीन कर्म मुख्य होते हैं।जिसमें नित्य श्राद्ध, नैमित्तक श्राद्ध, और काम्य श्राद्ध शामिल हैं। इन्हीं सभी श्राद्ध के बारे में आज हम विस्तार से आपको बताएंगे
नित्य श्राद्ध
सबसे पहले जानते हैं नित्य श्राद्ध के बारे में। नित्य श्राद्ध का मतलब होता है जो नियमित किया जाए। नित्य श्राद्ध में व्यक्ति अन्न, जल, दूध, कुशा,फूल और फल से अपने पितरों का प्रतिदिन श्राद्ध करते हैं और पितरों को प्रसन्न करते हैं।
नैमित्तक श्राद्ध
नैमित्तक श्राद्ध वो श्राद्ध होता है जो नियमित नहीं किया जाता है। यह श्राद्ध लोग विशेष अवसर पर करते हैं। जैसे कि पिता की मृत्यु तिथि के दिन इसे एकोदिष्ट कहा जाता है। इस श्राद्ध में केवल एक पिण्डदान दिया जाता है।
काम्य श्राद्ध
काम्य श्राद्ध की बात की जाए तो इस श्राद्ध को कोई विशेष फल प्राप्त करने के लिए किया जाता है। जैसे कई लोग स्वर्ग की कामना करते है तो कोई मोक्ष की प्राप्ति चाहते हैं तो कई लोग संतान प्राप्ति चाहते हैं। इसलिए ये श्राद्ध करते हैं। ये तो हो गए मुख्य कर्म अब चलिए बात करते हैं अन्य प्रकार के श्राद्ध के बारे में।
वृद्धि श्राद्ध
वृद्धि श्राद्ध की बात की जाए तो यह श्राद्ध सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाता है
सपिंडन श्राद्ध
ये श्राद्धमृत व्यक्ति के 12वें दिन पितरों से मिलने के लिए किया जाता है। इस श्राद्ध को स्त्रियां भी कर सकती हैं।
पार्वण श्राद्ध
ये श्राद्ध पिता, दादा, परदादा, सपत्नीक और दादी, परदादी, और सपत्नीक के लिए किया जाता है।
गोष्ठी श्राद्ध
यह श्राद्ध परिवार के सभी लोगों के एकत्र होने के समय किया जाता है।
कर्मागं श्राद्ध
यह श्राद्ध किसी संस्कार के अवसर पर किया जाता है।
शुद्धयर्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध परिवार की शुद्धता के लिए किया जाता है।
तीर्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध तीर्थ में जाने पर किया जाता है।
यात्रार्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध यात्रा की सफलता के लिए किया जाता है।
पुष्टयर्थ श्राद्ध
शरीर के स्वास्थ्य व सुख समृद्धि के लिए ये श्राद्ध किया जाता है। त्रयोदशी तिथि, मघा नक्षत्र, वर्षा ऋतु व आश्विन मास का कृष्ण पक्ष इस श्राद्ध के लिए उत्तम माना जाता है।
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