अमेरिकी ने F-414 इंजन सौदे का रास्ता किया साफ, जानें इस डील से भारत को क्या होगा फायदा
GE F414 Jet Engine Deal: भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग में अमेरिकी कांग्रेस ने भारत के साथ JEजेट इंजन सौदे का रास्ता साफ कर उसे अपनी मंजूरी दे दी है। अमेरिकी कांग्रेस को इस डील पर कोई आपत्ति नहीं है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और JEएयरोस्पेस के बीच समझौते में एक अभूतपूर्व प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, भारत में जेट इंजन का निर्माण और एक लाइसेंसिंग व्यवस्था शामिल है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सैदेको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले ही मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन प्रक्रिया के मुताबिक गृह विभाग ने 28 जुलाई को सदन और सीनेट की विदेश संबंध समिति को इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अगर नहीं तो कांग्रेस सूचना मिलने के 30 दिन के भीतर प्रतिनिधि या सीनेटर कोई आपत्ति उठाता है तो उसे सहमति माना जाता है। इस पर कोई आपत्ति नहीं मिली और प्रशासन अगले कदम की ओर बढ़ सकता है।
अमेरिकी कांग्रेस जल्द जारी करेगा अधिसूचना
वहीं, गृह विभाग ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एक प्रवक्ता ने कहा कि हम वाणिज्यिक रक्षा व्यवसाय लाइसेंसिंग गतिविधियों के विवरण पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। 'PMमोदी की यात्रा से पहले सबसे पहले खबर आई थी कि अमेरिकी प्रशासन ने जेट इंजन सौदे को मंजूरी दे दी है और जल्द ही अमेरिकी कांग्रेस को एक अधिसूचना जारी की जाएगी।
22जून को, PMमोदी की वाशिंगटन DCकी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान JEएयरोस्पेस और HALने भारत में निर्माणाधीन हल्के लड़ाकू विमान (LCA) MK2के लिए F-414जेट इंजन के उत्पादन के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
इस सौदे से भारत को क्या हो फायदा?
यह डील काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि अमेरिकी जेट इंजन तकनीक काफी बेहतरीन मानी जाती है। इस तकनीक को अमेरिका ने भी साझा नहीं किया है। इससे भारत को जेट इंजन प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ने और चीन के साथ तनावपूर्ण स्थिति के संदर्भ में हवाई क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
अमेरिकी प्रशासन ने स्वीकार किया है कि JEसौदा आगे बढ़ने के लिए एक मॉडल हो सकता है, क्योंकि यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-उत्पादन पर भारत की चिंताओं को दूर करने में मदद करता है। इससे दोनों देशों के रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र और संस्थानों के घनिष्ठ एकीकरण की अमेरिकी उम्मीदें भी जुड़ती हैं।
99F-414इंजन बनाने का रास्ता साफ
इस सौदे में 80 प्रतिशत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (TOT) शामिल होगा और इसका मूल्य लगभग 1 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।सौदे की जानकारी रखने वाले भारतीय अधिकारियों ने कहा कि इंजनों के उत्पादन में नए फाइटर जेट में लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री होगी, जबकि LCAMK-1Aमें 55-60 प्रतिशत और मौजूदा संस्करण में 50 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री होगी।
अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लाइसेंस के तहत 99 F-414 इंजन बनाने के लिए JEएयरोस्पेस के साथ समझौते पर चालू वित्तीय वर्ष के दौरान हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है और इसके 3साल बाद इंजनों का पहला बैच भारत में बनाया जाएगा।
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