'मैं मौत के डर को पीछे छोड़ रहा हूं'...मनप्रीत सिंह ने घरवालों से कही थी ये बात, जानें भारत के वीर सपूत की कहानी

Manpreet Singh: मोहाली के मुल्लांपुर स्थित भरंजियां गांव में बुधवार शाम से सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव के सभी लोग एक घर के बाहर जमा हैं। ये यहीं रहने वाले कर्नल मनप्रीत सिंह का घर है, जो बुधवार शाम जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए थे।
बता दें कि,शाम को जैसे ही कर्नल के बलिदान की खबर मिली लोग उनके घर के बाहर जमा होने लगे। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि उनके गांव का नाम रोशन करने वाले मनप्रीत सिंह ने देश की सेवा में अपनी जान कुर्बान कर दी। इस घर में उनकी मां मंजीत कौर, पत्नी जगमीत कौर, सात साल का बेटा कबीर सिंह, ढाई साल की बेटी वाणी और भाई संदीप सिंह अपने परिवार के साथ रहते हैं।
मां को अभी तक बेटे के बलिदान की जानकारी नहीं
वहीं, घर में मौजूद मनप्रीत सिंह की मां को अभी तक अपने बेटे के बलिदान की जानकारी नहीं दी गई है। परिजनों के मुताबिक, सेना की ओर से शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर गुरुवार को उनके घर पहुंचने की जानकारी दी गई है।
मनप्रीत ने कहा था- मैं मौत के डर को पीछे छोड़ रहा हूं...
मनप्रीत सिंह के छोटे भाई संदीप सिंह ने बताया कि उनके परिवार की पृष्ठभूमि आर्मी की है। उनके दादा, पिता और चाचा भी सेना में रहे हैं। 2003 में CDSपरीक्षा उत्तीर्ण करने और प्रशिक्षण लेने के बाद, भाई 2005 में लेफ्टिनेंट बन गए। प्रशिक्षण के लिए जाते समय मनप्रीत सिंह ने कहा था कि उन्हें नहीं पता कि डर क्या है, वह मौत को पीछे छोड़ रहे हैं और भारत माता की सेवा के लिए सेना में शामिल हो रहे हैं। मार्च 2021 में कर्नल मनप्रीत सिंह को उनके अदम्य साहस के लिए वीरता सेना पदक से सम्मानित किया गया।
उनके छोटे भाई संदीप सिंह ने बताया कि मनप्रीत बचपन से ही आर्मी ऑफिसर बनना चाहते थे। जब किसी ने उनसे पूछा तो उनका एक ही जवाब था कि जिस तरह उनके पिता सेना में सिपाही बनकर अफसरों को सलाम करते हैं, उसी तरह एक दिन वह भी अफसर बनकर अपने पिता के साथ खड़े होंगे, तब अफसर भी उन्हें सलाम करेंगे। मनप्रीत के पिता लखमीर सिंह 12 सिख लाइट इन्फैंट्री से हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
‘मनप्रीत बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थे’
दैनिक जागरण से बात करते हुए शहीद मनप्रीत सिंह के छोटे भाई संदीप सिंह ने बताया कि मनप्रीत बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थे। केंद्रीय विद्यालय, मुल्लांपुर से प्राथमिक पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सेक्टर-32 एसडी कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई पूरी की। इसी दौरान उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा भी पास की. इसी दौरान उन्होंने सीडीएस की परीक्षा पास की और सेना में चयनित हो गये. मनप्रीत पहली कक्षा से लेकर बीकॉम तक की पढ़ाई में कभी दूसरे नंबर पर नहीं आए।
2016 में पंचकुला की जगमीत से शादी हुई
संदीप सिंह ने बताया कि उनके बड़े भाई मनप्रीत सिंह की शादी साल 2016 में पंचकुला निवासी जगमीत कौर से हुई थी। उनका एक सात साल का बेटा कबीर सिंह और ढाई साल की बेटी वाणी है। उनकी पत्नी जगमीत पंचकुला के मोरनी में टीचर हैं। 15 दिन पहले पत्नी जगमीत मनप्रीत के यहां से कश्मीर के अनंतनाग आई थी। सब कुछ ठीक चल रहा था, सभी खुश थे तभी अचानक दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
दादाजी और उनके 2भाई, पिता और चाचा सेना से सेवानिवृत्त हुए
संदीप सिंह ने बताया कि तीन भाई-बहनों में मनप्रीत सबसे बड़ा था, दूसरे नंबर पर उसकी बहन संदीप कौर और तीसरे नंबर पर वह खुद था। उनके दादा स्वर्गीय शीतल सिंह, उनके भाई साधु सिंह और त्रिलोक सिंह, तीनों सेना से सेवानिवृत्त थे। जबकि उनके पिता लखमीर सिंह सिपाही के पद पर सेना में भर्ती हुए थे और हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. चाचा भी सेना में रहे हैं. इसके बाद पिता की पोस्टिंग पंजाब यूनिवर्सिटी में सिक्योरिटी ब्रांच में हो गई. 2014 में ब्रेन हेमरेज के कारण उनके पिता की मृत्यु के बाद, उन्हें अनुकंपा के आधार पर उनके स्थान पर सहायक क्लर्क की नौकरी मिल गई। उनका पूरा परिवार सेना में रहकर देश की सेवा कर चुका है।
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