Ashwin Masik Shivratri 2023: शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या होता है अंतर? जानें

Ashwin Masik Shivratri 2023: वैसे तो भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए हर दिन शुभ होता है। अगर कोई भगवान शिव की पूजा श्रद्धा भाव से करता है तो भोलेनाथ उस पर प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन शिवरात्रि और महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करने और व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। लेकिन कई लोग इस चीज को लेकर भ्रम में रहते हैं की महाशिवरात्रि और शिवरात्रि एक ही होता है। दरअसल दोनों अलग अलग होता है। आज हम आपको बताएंगे दोनों में अंतर क्या होता है और कैसे शिवरात्रि महाशिवरात्रि से अलग होता है।
भगवान शिव जिनके बारे में कहा जाता है कि वो किसी एक के नहीं बल्कि सबके हैं। जो भी उन्हें श्रद्धा भाव से याद करे उस पर अपनी कृपा बरसाते हैं। और उन ही देवों के देव महादेव को समर्पित होता है शिवरात्रि और महाशिवरात्रि। शिवरात्रि हर महीने की चतुर्दशी को आती है। इस महीने की शिवरात्रि 12 अक्टूबर को है।
साल भर में होते हैं 12 शिवरात्रि
इस तरह से साल भर में 12 शिवरात्रि के पर्व पड़ते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महादेव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। तब से हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का दिन शिव पूजा के लिए समर्पित हो गया। शिवरात्रि के दिन अपना बोध किया जाता है कि हम सभी शिव के अंश हैं और उनके ही संरक्षण में हैं।
महाशिवरात्रि के बारे में ये है मान्यता
वहीं महाशिवरात्रि के बारे में कई लोगों का मानना है कि इस दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे तो वहीं की लोगों का मानना है उस दिन भगवान शिव का माता पार्वती के साथ विवाह हुआ था। शिवपुराण के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है।महाशिवरात्रि के दिन शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह दिन बेहद खास होता है और शिवजी को यह दिन बहुत प्रिय है। माता पार्वती की कठोर तपस्या के बाद शिवजी ने उनको पत्नी रूप में स्वीकार किया था और इस शुभ दिन पर विवाह किया था। इसलिए रात में कई जगह शिव बारात भी निकाली जाती है लेकिन ज्यादातर लोग केवल महाशिवरात्रि को इसी वजह से जानते हैं लेकिन इस पवित्र से दिन से कई कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो दर्शाती हैं कि आखिर महाशिवरात्रि का पर्व महत्वपूर्ण क्यों है।
ये है दोनों में अंतर
यही नहीं मासिक शिवरात्रि पर सिर्फ महादेव की पूजा की जाती है, वहीं महाशिवरात्रि पर महादेव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जा सकती है। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की कृपा तो बरसती है लेकिन व्यक्ति आध्यात्म की ओर भी बढ़ता है। वहीं महाशिवरात्रि के दिन शिव और पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन और प्रेम संबंध मजबूत होता है। अश्विन महीने की शिवरात्रि का व्रत साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत करता है। इसके साथ ही धन-धान्य, सुख-सौभाग्य और समृद्धि की कभी कमी नहीं होती।
Leave a Reply