Aditya-L1: सूर्य मिशन के लिए महीनों तक इंजीरियरों ने परफ्यूम को रखा अपने से दूर, जानें इसका वैज्ञानिक कारण

Aditya-L1: इसरो द्वारा भेजा गया आदित्य एल-1 को सूर्य के पास पहुंचने पर कम से कम 125 दिन यानी अगले 4 महीनें लगने वाले है। भारत का पहला सूर्य मिशन पृथ्वी के 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष से सूरज का अध्ययन करेगा। इस पर इसरो का कहना है कि आदित्य एल-1 करीब पांच वर्षों तक सूर्य की जानकारी पृथ्वी पर भेजेगा। इस बीच खबर सामने आई है कि इसरो ने इस मिशन को तैयार करने के लिए एक विशेष अभियान चला था। जिसमें इस मिशन में काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को परफ्यूम लगाने की अनुमति नहीं थी अब ये इसरो ने क्यों किया। चलिए आपको इस कारण बताते है।
दरअसल आदित्य-एल1 मिशन को तैयार करने के लिए भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की टीम लगी थी। जिसमें वैज्ञानिक और इंजीरियर दोनों शामिल थे। इन लोगों के लिए काम के दौरान किसी परफ्यूम या किसी भी प्रकार की सुगांधित चीज लगाने से मनाही की गई थी। इस कारण बताया जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया क्योंकि इत्र का एक भी कण आदित्य के मुख्य पेलोड-विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ को तौयार करने के शोधकर्ताओं के काम को बाधित कर सकता था।
मिशन के दौरान वैज्ञानिकों ने नहीं लगाया परफ्यूम
इतना ही नहीं इस मिशन के दौरान इंजीरियरों और वैज्ञानिकों ने बेहद क्लीनरूम में काम किया है। इसके लिए एक रोगाणुहीन वातावरण को तैयार किया गया था। रोगाणुहीन नातावरण का मतलब है कि अस्पताल के आईसीयू से 1 लाख गुना अधिक स्वच्छ वातावरण। टीम के प्रत्येक सदस्य को संदूषण सो बचने के लिए स्पेस मैन जैसे सूट पहनने पड़े और अलट्रासोनिक सफाई से भी गुजरना पड़ा।
आईसीयू के कमरे से रखते है अधिक साफ
अगर बात करें सकी वजह कि तो इस पर वीईलसी तकनीकी टीम के प्रमुख ने बताया कि इसे अस्पताल के आईसीयू से 1 लाख अधिक साफ रखना पड़ता है। इसमें एचईपीए, फील्टर, आईसोप्रोपिल अल्कोहल और कठोर प्रोटोकॉल को फॉलो किया है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बाहरी कण काम में व्यवधान उत्पन्न न करें। वहीं ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि एक कण को खत्म करने के लिए कई दिनों की मेहनत बर्बाद हो सकती थी।
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