Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि महापर्व की आज से शुरूआत, इस तरह करें मां शैलपुत्री की पूजा, खुशियों का होगा आगमन

Shardiya Navratri2023:नवरात्र के महापर्व की शुरुआत आज से शुरू रहा है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना करने का विधान है। मां शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में पूजा जाता हैं। इनका रूप सौम्य और शांत है। सफेद वस्त्र धारण की हुई है। इन देवी के चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है। माना जाता है कि देवी शैलपुत्री की आराधना करने से तामसिक तत्वों से मुक्ति मिलती है। नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री की आराधना करना बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि माता शैलपुत्री का नाम लेने से घर में पवित्रता आती है।
पूजा सामाग्री
श्रीदुर्गा की सुंदर प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल और नवग्रह पूजन के लिए सभी रंग के फूल भी अवश्य रखें।
पूजा विधि
- नवरात्र के पहले दिन सूर्योदय से पहले उठ कर, स्नान कर साफ कपड़े पहनें।
- एक चौकी पर देवी की प्रतिमा या फोटो की स्थापना करें।
- गंगाजल से स्थान पवित्र कर धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
- शुभ मुहूर्त में घटस्थापना और कलश स्थापना करना चाहिए।
कलश पूजा विधि
- कलश की पूजा विधि पूर्वक करनी चाहिए।
- इसके लिए मिट्टी के पात्र में सात प्रकार के अनाज को मां दुर्गा का स्मरण करते हुए बोएं।
- इस पात्र के ऊपर कलश की स्थापना करें।
- कलश में जल और गंगाजल को मिलाकर भर दें। कलश पर कलावा बांधें।
- कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते रख दें।
- इसके उपरांत जटा नारियल में कलावा को बांध दें।
- लाल कपड़े में नारियल को लपेट कर कलश के ऊपर रखें।
- सभी देवी देवताओं का आह्वान करें।
इसके बाद माता शैलपुत्री के रूप का ध्यान करें। फिर शैलपुत्री माता के व्रत का संकल्प लें। शैलपुत्री माता की कथा, आरती, दुर्गा चालीसा, दुर्गा स्तुति और दुर्गा स्तोत्र का पाठ करें। फिर माता की आरती करें। जयकारों के साथ पूजा संपन्न करें। इसके बाद देवी को फल-मिठाई का भोग लगाएं। इसी विधि से संध्या आराधना भी करें। साथ ही भोग भी लगाएं।
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