Pitru Paksha 2023: बिहार का अनोखा मंदिर, जहां लोग करते हैं खुद का पिंडदान

Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष के दौरान अधिकतर लोग अपने घर पर ही ब्राह्मणों को भोजन करवाकर अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो तीर्थ स्थनों पर जाकर अपने पितरों के लिए पिंडदान करते हैं और वहां उनका श्राद्ध करते हैं। आप ने अब तक यही सुना होगा कि पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं बिहार के गया में एक मंदिर ऐसा है जहां लोग खुद का पिंडदान करते हैं। ये दुनिया का इकलौत ऐसा मंदिर है जहां आत्म पिंडदान किया जाता है। ऐसी आस्था है कि आत्म पिंडदान करने वाले को परलोक में जाने के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
बिहार का गया जिसे वायु पुराण, गरुड़ पुराण और विष्णु पुराण में सबसे अधिक महत्व दिया है। श्राद्ध कर्म करने के लिए यह स्थान सबसे पवित्र माना गया है। पुराणों में यह स्थान मोक्ष की भूमि और मोक्ष स्थली कही जाती है।इसी जगह एक हजारों साल पुराना मंदिर है। जिसका नाम 'विष्णु जनार्दन स्वामी मंदिर'है। आत्म पिंडदान करने वाले भगवान विष्णु के दाहिने हाथ में पिंड देते हैं। भगवान विष्णु जनार्दन रूप में पिंड को ग्रहण करने की मुद्रा में है और उनका हाथ खुला हुआ है, जिसमें वह आत्म पिंडदान को ग्रहण करते हैं।
45 वेदियों में से एक वेदी के रूप में है विख्यात
इस तरह यह मंदिर गया जी की 45 वेदियों में से एक वेदी के रूप में विख्यात है। ऐसी आस्था है कि आत्म पिंडदान करने वाले को परलोक में जाने के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। आत्म पिंडदान करने के बाद संबंधित व्यक्ति को धार्मिक तौर पर दान कर्मकांड करने पड़ते हैं, जो कि आत्म पिंडदान के तुरंत बाद किया जाता है। इस मंदिर का जिक्र धर्म पुराणों में भी किया है।
इसके साथ ही यहां पर वो लोग भी पिंडदान करते हैं जिनकी कोई संतान नहीं होती है।
आत्म पिंडदान का ये भी है एक कारण
आत्म पिंडदान करने का एक कारण यह भी है कि इन्हें लगता है कि मरने के बाद इनका पिंडदान कोई भी नहीं करेगा, इनके अलावा काफी संख्या में सन्यासी और साधु लोग भी यहां पिंडदान करने आते हैं। इस मंदिर की यह भी खासियत है कि यह एक चट्टान पर बना हुआ है। यहां भगवान विष्णु की जनार्धन के रूप में प्रतिमा है।
हर मनोकामना होती है पूर्ण
इस मंदिर की मान्यता अनोखी है। लोगों में मंदिर को लेकर आस्था भी है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते है। लोग मानते है कि यहां उनकी हर मान्यता पूरी होती है।
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