MP-राजस्थान में कफ सिरप ने ली 12 मासूमों की जान...डॉक्टर खुद भी हुए बेहोश, सरकार ने उत्पादन पर लगाई रोक

MP Rajasthan Cough Syrup Scandal: पिछले कुछ समय से राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप ने तूफान मचा रखा है। जिस वजह से मासूम बच्चों की मौत का आंकड़ा भी तेजी से ऊपर उठ रहा है। क्योंकि खांसी-जुकाम जैसी मामूली बीमारी के इलाज के लिए दी जाने वाली यह दवा अब मौत का सबब बन चुकी है। दोनों राज्यों में मिलाकर अबतक 11से 12बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य बच्चे गंभीर रूप से बीमार हैं। यह मामला न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि दवा निर्माण और वितरण की गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
MP-राजस्थान में कफ सिरप से हुई मौत
बता दें, यह मामला अगस्त महीने के आखिरी दिनों में सामने आया, जब मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बच्चों में अचानक किडनी फेलियर के मामले सामने आने लगे। शुरुआती रिपोर्ट्स की मानें 24अगस्त को पहला संदिग्ध केस दर्ज हुआ और 7सितंबर को पहली मौत की पुष्टि हुई। वहीं, छिंदवाड़ा जिले के परासिया इलाके में वायरल फीवर और खांसी के बाद कफ सिरप दिए जाने के बाद 9बच्चों की मौत हो चुकी है। सभी बच्चे 5साल से कम उम्र के थे।
बताया जा रहा है कि बच्चों को कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्स्ट्रो-डीएस (Nextro-DS)—दिए गए थे। जिले में 100से ज्यादा बच्चों को यह सिरप उपलब्ध कराया गया था, जिनमें से कई अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं। उनकी रिपोर्ट में किडनी इंफेक्शन और फेलियर मुख्य कारण बताया जा रहा है।
दूसरी तरफ, राजस्थान के सीकर, भरतपुर जिलों में 3मौतें दर्ज हुई हैं। इन बच्चों को भी कफ सिरप पिलाए गए थे। सिरप पीने के कुछ घंटों बाद बेहोश हो गया और किडनी फेलियर से उसकी मौत हो गई। इसके अलावा बांसवाड़ा जिले में 8अन्य बच्चे (1से 5साल की उम्र) बीमार पड़े, जिन्हें तुरंत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक एंबुलेंस ड्राइवर को भी सिरप पीने के बाद लक्षण दिखे, लेकिन वह ठीक हो गया।
कुल मिलाकर, दोनों राज्यों में मौतों का आंकड़ा 11से 12तक बताया जा रहा है। यह संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कई बच्चे अभी भी वेंटिलेटर पर हैं। यह घटना 2023के कफ सिरप घोटाले की याद दिलाती है, जब विषैले तत्वों (DEG/EG) से सैकड़ों मौतें हुई थीं।
कौन सी दवा बनी 'मौत का कुआं'?
सभी मौतों का कारण है - डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड युक्त कफ सिरप। यह सिरप राजस्थान सरकार की 'मुख्यमंत्री मुफ्त दवा योजना' के तहत सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरी में मुफ्त उपलब्ध कराया जा रहा था। निर्माता कंपनी जयपुर-आधारित केसन फार्मा (Kayson Pharma) है, जिसकी फैक्ट्री सरना डूंगर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है। मालूम हो कि कंपनी पर पहले भी उल्लंघन के आरोप लगे हैं।
2023में मेंथॉल की कम मात्रा के कारण एक बैच डिबार किया गया था, और फरवरी 2025में 40गुणवत्ता जांचें फेल हो चुकी थीं। मौतों के बाद 19से 22बैचों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। वहीं, इस दवा के लक्षण में सिरप पीने के 2-3घंटों बाद उल्टी, तेज बुखार, पेशाब रुकना और बेहोशी शामिल हैं। एक चौंकाने वाली घटना में, राजस्थान के बयाना सीएचसी के प्रभारी डॉक्टर ताराचंद योगी ने सिरप की 'सुरक्षा' साबित करने के लिए खुद डोज ली, लेकिन 8घंटे बाद वह बेहोश हो गए। यह सिरप न केवल बच्चों के लिए अनुशंसित नहीं है, बल्कि ओवरडोज से किडनी को नुकसान पहुंचाने का खतरा रहता है।
MP-राजस्थान सरकार ने क्या कहा?
मामला बढ़ता देखछिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने दो संदिग्ध सिरप पर तत्काल बैन लगाया। राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (SFDA) ने 3सैंपल टेस्ट किए, जिनमें डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकोल (EG) जैसे विषैले तत्व नहीं मिले। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने कहा '12सैंपल भेजे गए, 3की रिपोर्ट साफ आई।' फिलहाल, जांच जारी है और निजी डॉक्टरों को वायरल फीवर के मरीजों को सिविल अस्पताल भेजने के निर्देश दिए गए।
दूसरी तरफ, राजस्थान सरकार ने मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन ने 22बैचों की सप्लाई रोकी। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने सीकर, झुंझुनू और भरतपुर से सैंपल कलेक्ट किए। एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट को सिरप देने के मामले में निलंबित किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी कर चिकित्सकों को सतर्क किया। साथ ही, मिलनाडु ने कोल्ड्रिफ सिरप पर बैन लगा दिया और कंपनी के कांचीपुरम प्लांट का स्टॉक सील कर दिया। पुडुच्चेरी और अन्य जगहों पर भी अलर्ट जारी।
केंद्र सरकार ने इस मामले में क्या कहा?
बता दें, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 03 अक्टूबर को एक एडवाइजरी जारी की। इसमें सभी राज्यों को निर्देश दिया गया कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल न दें, केवल डॉक्टर की सलाह पर ही दवा दें। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) की टीम ने छिंदवाड़ा और सीकर में सैंपल (दवा, पानी, मच्छर वेक्टर) एकत्र किए। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने भी जांच शुरू की।
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