Delhi Air Pollution: जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर दिल्लीवासी, ‘खराब श्रेणी’ में पहुंची दिल्ली की हवा

Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा अब भी जहरीली बनी हुई है। SAFAR इंडिया के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता शुक्रवार को खराब श्रेणी में रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 249 रहा। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार, औसत AQI गुरुग्राम में 252, नोएडा में 208, धीरपुर में 269 और लोधी रोड पर 218 दर्ज किया गया। AQI पैमाने के अनुसार, 0 और 50 के बीच वायु गुणवत्ता 'अच्छी' है, 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक' है। 101 और 200 को 'मध्यम', 201 और 300 को 'खराब', 301 और 400 को 'बहुत खराब' और 401 और 450 को 'गंभीर' माना जाता है।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता गुरुवार को लगातार चौथे दिन खराब रही और फिलहाल इसमें किसी सुधार की संभावना नहीं है। प्रदूषण निगरानी एजेंसियों के अनुसार, दिल्ली शहर का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गुरुवार शाम 4 बजे 256 था, जबकि बुधवार को 243 और मंगलवार को 220 था।गाजियाबाद का AQI 235, फरीदाबाद का AQI 254, गुरुग्राम का AQI 230, नोएडा का AQI 191 और ग्रेटर नोएडा का AQI 260 था। केंद्र सरकार की दिल्ली वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली के अनुसार, शहर की वायु गुणवत्ता 'खराब' से 'बहुत खराब' के बीच रहने की संभावना है। अगले तीन-चार दिनों के दौरान।
प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने शुरू किया अभियान
वाहन प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने गुरुवार को एक अभियान भी शुरू किया। एक साल पहले उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसी तरह के एक अभियान की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए इसे रोक दिया था। सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा 2019 में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि ट्रैफिक सिग्नल पर इंजन चालू रखने से प्रदूषण का स्तर नौ प्रतिशत तक बढ़ सकता है।दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों में उत्सर्जन सूची और स्रोत विभाजन पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि वाहनों से निकलने वाला धुआं पीएम 2.5 उत्सर्जन का नौ प्रतिशत से 38 प्रतिशत तक है।
गौरतलब है कि मई के बाद पहली बार रविवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो गई थी। इसका मुख्य कारण तापमान और हवा की गति में गिरावट है, जिसके कारण प्रदूषक जमा हो जाते हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में प्रदूषण 1 नवंबर से 15 नवंबर तक बहुत अधिक हो जाता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं अपने चरम पर पहुंच जाती हैं।
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