Explainer: मुइज्जू के राष्ट्रपति बनते ही बढ़ी टेंशन, जानें मालदीव में क्यों तैनात हैं भारतीय सेना?

Tension Between India-Maldives Explained: मालदीव को नया राष्ट्रपति मिल गया है। मोहम्मद मुइज्जू निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह को हराकर चुनाव के विजेता के रूप में उभरे। चीन के करीबी माने जाने वाले मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने गद्दी संभालते ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। मुइज़ू ने घोषणा की है कि वह मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटा देगा। उन्होंने कहा कि चुनाव नतीजों से पता चला है कि मालदीव के लोग यहां विदेशी सैनिकों की मौजूदगी नहीं चाहते हैं। मैं अपने नागरिकों की इच्छाओं का सम्मान करूंगा। विदेशी सैनिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
आपको बता दें कि,चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की करीबी मुइज्जू की पार्टी PPMऔर गठबंधन सहयोगी PNCमालदीव में भारतीय सेना की मौजूदगी का लगातार विरोध कर रहे हैं। चुनाव में दोनों पार्टियों का यही मुख्य एजेंडा था। मुइज़ू ने भारतीय सैनिकों के ख़िलाफ़ "इंडिया आउट" का नारा दिया था। वह लगातार कहते रहे हैं कि मालदीव में भारतीय सेना की मौजूदगी उनके देश की संप्रभुता के लिए खतरा है।
मालदीव में क्यों तैनात हैं भारतीय सैनिक?
मोहम्मद मुइज्जू से पहले इब्राहिम मोहम्मद सोलिह मालदीव के राष्ट्रपति थे। उनके कार्यकाल में भारत और मालदीव काफी करीब आये। भारत का प्रभुत्व बढ़ा। भारत ने मालदीव में न सिर्फ पर्याप्त निवेश किया बल्कि बुनियादी ढांचे समेत कई चीजें विकसित करने में भी मदद की। 2 हेलीकॉप्टर और एक डोनर विमान भी दान किया। जिनका उपयोग आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं, बचाव और समुद्री निगरानी और गश्त के लिए किया जाता है।
मालदीव में भारत के कितने सैनिक तैनात हैं?
मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों की संख्या का कोई आधिकारिक डेटा नहीं है। टीआरटी वर्ल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव में भारतीय सेना की बहुत छोटी टुकड़ी तैनात है और कुल सैनिकों की संख्या केवल 75 के आसपास है।
मुइज़ू भारत के विरोध को हवा दे रहा है
मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारतीय सैनिकों का विरोध कोई नई बात नहीं है। राष्ट्रपति चुने जाने से पहले वह माले शहर के मेयर थे। उनके मेयर रहने के दौरान माले में भारतीय सैनिकों के ख़िलाफ़ बड़ा प्रदर्शन हुआ था। हजारों लोग 'इंडियन मिलिट्री आउट' के नारे लगाते हुए सड़कों पर उतर आए। तब सोलिह की सरकार ने दो टूक कहा था कि भारत मालदीव का मजबूत सहयोगी और भरोसेमंद पड़ोसी है। ऐसे में भारतीय सेना से मालदीव की संप्रभुता को कोई खतरा नहीं है।
पुरानी सरकार का रुख क्या था?
विपक्षी दलों के दबाव के बाद सोलिह सरकार में रक्षा मंत्री मारिया दीदी को भी सार्वजनिक बयान देना पड़ा। तब उन्होंने कहा था कि मालदीव में तैनात सभी भारतीय सैनिकों के पास कोई हथियार नहीं है। ऐसे में वे किसी भी तरह से मालदीव की संप्रभुता के लिए खतरा नहीं हैं।
मालदीव भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
मालदीव भारत के लिए सामरिक और सामरिक दोनों ही दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। हिंद महासागर से गुजरने वाले मालवाहक जहाज मालदीव से होकर जाते हैं। एक तरह से यह केंद्र बिंदु है। हिंद महासागर में अपना दबदबा कायम करने के लिए चीन लगातार मालदीव को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है। दूसरा- मालदीव भारत के लक्षद्वीप से महज 700 किलोमीटर दूर है। ऐसे में चीन के लिए वहां से भारत पर नजर रखना आसान है। हालांकि पिछली सोलिह सरकार में चीन की दाल नहीं गली। लेकिन मुइज़ू के सत्ता में आने के बाद भारत चिंतित है।
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