Haryana News: मूक-बधिर बच्चों ने बढ़ाया माता-पिता के साथ जिले का मान, पूरे गांव में बने चर्चा का विषय

सिरसा: हिम्मत, हौसला, जुनून और कुछ कर गुजरने की ठान ली जाए तो बड़ी से बड़ी मुसीबत भी इंसान के समक्ष नतमस्तक हो जाती है। ऐसा ही कुछ हौसला और हिम्मत दिखाईसिरसा के गांव दड़बा कलां निवासी स्व. रूलीचंद गोयल के परिवार ने और उनके हौंसले व हिम्मत को पंख लगाने का काम किया इसी परिवार के 4 मूक बधिर बच्चों ने। परिवार के सदस्यों व बच्चों ने मूक बधिरता को कभी हावी नहीं होने दिया और अपनी समझ व बुलंद इरादों से हर मुसीबत का सामना किया, जिसका परिणाम आज सभी के सामने है। जो काम एक सामान्य बच्चा भी नहीं कर पाता, वो काम इन मूकबधिर बच्चों ने कर दिखाया है।
स्व. रुलीचंद गोयल के घर तीन बेटों जसराज, कृष्ण व महावीर प्रसाद (कैलाश) ने जन्म लिया। जसराज के चार बच्चे दो बेटे व दो बेटियां है, जो कि सामान्य है। जबकि कृष्ण के दो बच्चे एक बेटा तुलसीरामऔर बेटी रिंका है, जोकि दोनों ही मूक बधिर है। इसी प्रकार महावीर प्रसाद (कैलाश) के भी दोनों बच्चे ललित व किरण मूक बधिर है । कृष्ण का बेटा तुलसीराम बी ए पास है और गुरुग्राम में नौकरी करता है, वहीं बेटी रिंका हाऊस वाइफ है। वहीं महावीर प्रसाद का बेटा ललित जहां पढ़ाई कर रहा है, वहीं बेटी किरण एम ए पास होने के साथ-साथ जूडो की बेहतरीन प्लेयर भी है। मूकबधिर किरण व ललित के पिता महावीर प्रसाद ने कहा कि उनकी सरकार से मांग है कि इस प्रकार के बच्चों के लिए जिला स्तर पर एक स्कूल व कॉलेज का निर्माण किया जाए। इसके साथ-साथ इस प्रकार के बच्चों के लिए रोजगार के भी अवसर बनाए जाएं, ताकि ये अपने पैरों पर खड़े होकर अपने साथ-साथ परिवार का भी भरण पोषण कर सकें।
महावीर प्रसाद (कैलाश) ने बताया कि वे एक साधारण परिवार से हैं और करियाने की दुकान कर परिवार का पालन पोषण कर रहे है । उसने बताया कि वह खुद भी बीमार रहता है, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी। ये बात और है कि उन्हें सरकार से कोई सहयोग नहीं मिला। उन्होंने अपने चारों बच्चों को गंगानगर स्थित अंध विद्यालय में पढ़ाया और बच्चों ने भी उनकी मेहनत को जाया नहीं जाने दिया और अपनी हिम्मत व बुलंद हौंसलों से उस मुकाम को हासिल किया, जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।
वही इन दोनो के भाई और बहन ने बताया कि 26 वर्षीय किरण एम ए पास होने के साथ-साथ जूडो की बेहतरीन प्लेयर भी है। अपनी मेहनत व प्रतिभा से वह नैशनल तक का सफर तय कर चुकी है, ये बात और है कि उसे कोई उपलब्धि नहीं मिली, लेकिन मूक बधिर होने के बावजूद नेशनल स्तर तक जाना भी अपने आप में बड़ी बात है। इतना ही नहीं वह गांव कागदाना, गीगोरानी सहित कई सरकारी स्कूलों में लक्ष्मीबाई सेल्फ डिफेंस की ओर से छात्राओं को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग भी दे चुकी है, जिसके लिए बकायदा उसे विभाग की ओर से प्रमाण पत्र भी दिया गया है। इसी प्रकार 26 वर्षीय पुत्र तुलसीराम जोकि बी ए पास है और वर्तमान में गुरुग्राम में अमेजन कंपनी में जॉब कर रहा है। तुलसीराम ने भी शिक्षा के साथ-साथ खेलों में अपनी प्रतिभा के जमकर जौहर दिखाए। तुलसीराम ने लॉन टेनिस, बैडमिंटन व जूडो की चेन्नई, रांची में हुई अनेक प्रतिस्पर्धाओं में प्रतिभागिता की और पदक जीते।
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