'म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के?...' आस्था पुनिया बनीं नौसेना की पहली महिला फाइटर पायलट

Sub-Lieutenant Aastha Punia: "दंगल फिल्म का एक मशहूर डायलॉग है, 'म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के?' अब यह बात हमारे देश की बेटियां हर क्षेत्र में साबित कर रही हैं। चाहे दंगल का मैदान हो या भारतीय सेना, हमारी बेटियां किसी भी मामले में पीछे नहीं हैं। यह एहसास उस समय और गहरा हुआ जब पहली बार भारतीय नौसेना में एक महिला फाइटर पायलट बनी। खबर है कि सब-लेफ्टिनेंट आस्था पुनिया को भारतीय नौसेना का फाइटर पायलट बनाया गया है। यह पहली बार है जब कोई महिला नौसेना के लड़ाकू विमान उड़ाएगी। हालांकि, भारतीय नौसेना के टोही विमान और हेलीकॉप्टर स्ट्रीम में पहले से ही महिला पायलट मौजूद हैं, लेकिन आस्था का यह कदम ऐतिहासिक है।
सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए नौसेना ने दी जानकारी
आस्था पुनिया के नौसेना में फाइटर पायलट बनने की उपलब्धि को लेकर भारतीय नौसेना ने सोशल मीडिया पर भी जानकारी साझा की है। नौसेना ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें आस्था पुनिया की तस्वीर शामिल है। पोस्ट में लिखा गया, 'नेवल एविएशन में एक नया अध्याय जुड़ गया है। भारतीय नौसेना ने 03 जुलाई 2025 को इंडियन नेवल एयर स्टेशन में द्वितीय बेसिक हॉक कन्वर्जन कोर्स के समापन के साथ एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया। लेफ्टिनेंट अतुल कुमार ढुल और सब-लेफ्टिनेंट आस्था पुनिया को रियर एडमिरल जनक बेवली, एसीएनएस (वायु) ने 'विंग्स ऑफ गोल्ड' पुरस्कार से सम्मानित किया।"
आस्था पुनिया कौन सा फाइटर जेट उड़ाएंगी?
सब-लेफ्टिनेंट आस्था पुनिया के लिए अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उन्हें भारतीय नौसेना में कौन सा फाइटर जेट उड़ाने का मौका मिलेगा। भारतीय नौसेना के पास कुछ चुनिंदा फाइटर जेट हैं, जो INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत जैसे विमानवाहक पोतों से संचालित किए जाते हैं। नौसेना मुख्य रूप से मिग-29K फाइटर जेट का उपयोग करती है, जो विशेष रूप से विमानवाहक पोतों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस जेट की युद्धक रेंज 722 किलोमीटर है, जबकि सामान्य उड़ान रेंज 2346 किलोमीटर तक है। यह 450 किलोग्राम वजन तक के चार बम, मिसाइलें और अन्य हथियार ले जाने में सक्षम है।
प्रशिक्षण और तैयारी
आस्था पुनिया ने हॉक 132 एडवांस्ड जेट ट्रेनर पर प्रशिक्षण पूरा किया है, जिसे भारतीय नौसेना 2013 से पायलटों को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोग करती है। यह प्रशिक्षण उन्हें लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए तैयार करता है। संभावना है कि वह भविष्य में मिग-29K या राफेल के नौसैनिक संस्करण को उड़ा सकती हैं, जो नौसेना के विमानवाहक पोतों से संचालित होते हैं।
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