वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू, कपिल सिब्बल ने बेंच के सामने रखीं ये दलीलें

Supreme Court Hearing On Waqf Law: सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई दोपहर दो बजे से शुरू कर दी है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल बेंच के सामने तर्क रख रहे हैं। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने कपिल सिब्बल से कहा कि समय काफी कम है इसलिए आप सिर्फ मुख्य बातें ही रखें। अदालत ने ये भी कहा कि आज सभी याचिकाएं नहीं सुनीं जा सकतीं।
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि ये 20 करोड़ मुस्लिमों के भरोसे का सवाल है। बेंच के सामने दलील देते हुए कपिल सिब्बल ने संवैधानिक हनन के मुद्दों की भी बात कही। जहां सिब्बल ने कोर्ट में जामा मस्जिद का मुद्दा उठाया तो वहीं बोर्ड में गैर मुस्लिमों की एंट्री पर भी सवाल उठा दिया। सिब्बल ने कहा कि हिंदू और सिख समुदाय के बोर्ड में सिर्फ उन्हीं के धर्म के लोग शामिल हैं।
कौनसे जज हैं बेंच में शामिल?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पहले वक्फ कानून के विरोध में दायर की गई याचिकाओं पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई करनी थी लेकिन अब सिर्फ दो ही जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार इस बेंच में शामिल हैं। खबर है कि एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी समेत विपक्ष के कई नेता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
याचिकाओं में वक्फ कानून में किए गए संशोधनों को असंवैधानिक बताते हुए इसे तुरंत बदले जाने की बात कही गई है। मुस्लिम समुदायों ने भी याचिकाएं दायर की हैं जिसमें कहा है कि केंद्र सरकार देश के अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव कर रही है। बता दें वक्फ कानून के विरोध में कई विपक्षी राजनीतिक दलों ने सवाल उठाते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मुख्य याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), सीपीआई, वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP) जैसी पार्टियां भी हैं। एक्टर विजय की पार्टी टीवीके, आरजेडी, जेडीयू, AIMIM और आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रतिनिधियों ने भी इस संबंध में कोर्ट का रुख किया है। अहम ये है कि दो हिंदू पक्षों ने भी इस कानून के विरोध में याचिका दायर की है। सामस्थ केरला जमीयथुल उलमा, अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलमा-ए-हिंद जैसे संगठन भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने भी टॉप कोर्ट में केविएट दाखिल किया है। केविएट से तात्पर्य है कि अगर कोर्ट इस मामले के संबध में कोई भी आदेश दे तो उससे पहले केंद्र सरकार की बात भी सुने।
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