दिल्ली सेवा बिल पर मिली राष्ट्रपति की मंजूरी, भारत सरकार ने जारी की अधिसूचना

Delhi Ordinance Bill: दिल्ली सेवा विधेयक के दोनों सदनों में पास होने के बाद आज इस पर राष्टरपती ने भी मुहर लगा दी है।दरअसल,बीते मंगलवार को लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल पेश किया गया था। ये बिल गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पेश किया था।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद दिल्ली सेवा अधिनियम कानून बन गयाहै।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1 अगस्त को लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया। इसके बाद विधेयक 7 अगस्त को राज्यसभा में पारित किया गया। विधेयक, केंद्र सरकार को अधिकार प्रदान करता है राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों का विधेयक उच्च सदन में पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोटों से पारित हो गया।
केंद्र का होगा नियंत्रण
आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस विधेयक को संसद में पेश किए जानें पर अब तक का सबसे "अलोकतांत्रिक" कागज़ का टुकड़ा करार दिया। विधेयक में प्रस्तावित किया गया कि राष्ट्रीय राजधानी के अधिकारियों के निलंबन और पूछताछ जैसी कार्रवाई केंद्र के नियंत्रण में होगी। मणिपुर की स्थिति पर लोकसभा और राज्यसभा दोनों में हंगामे के बीच इसे संसद में पेश किया गया।
हंगामेदार रहा मानसून सत्र
सरकार द्वारा दिल्ली में सेवाओं और अधिकारियों की पोस्टिंग पर नियंत्रण के लिए संसद में एक विधेयक पेश किए जाने के बाद संसद का मानसून सत्र हंगामेदार रहा, अधिकांश विपक्षी दल इस विधेयक के खिलाफ थे। दिल्ली सेवा विधेयक ने 19 मई को केंद्र द्वारा घोषित अध्यादेश को प्रतिस्थापित करने की मांग की। यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के एक सप्ताह बाद जारी किया गया था कि दिल्ली सरकार के पास सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित मामलों को छोड़कर, सिविल सेवकों के प्रशासन पुलिस, और भूमि पर नियंत्रण की शक्ति है।
इन नेताओं ने भी किया था विरोध
वहीं, अधीर रंजन ने कहा कि यह बिल संघीय सहकारितावाद की अवधारणा का उल्लंघन है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है। यह बिल दिल्ली LG की शक्तियों का विस्तार करने के लिए है। वहीं, RSP नेता NC मुंशीप्रेमचंदन ने भी बिल का विरोध किया और कहा कि यह बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है। यह विधिवत निर्वाचित सरकार से निर्णय लेने की प्रक्रिया छीन रही है।
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि इस बिल को लाना आर्टिकल 123 का उल्लंघन है। एक साधारण बिल से संविधान में संशोधन नहीं किया जा सकता।यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन है।
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