2040 में चंद्रमा पर तिरंगा...कब लॉन्च होगा भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान मिशन ‘गगनयान’? ISRO चीफ ने बताया

Gaganyaan Mission 2027: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत को अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई देने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश का पहला मानव अंतरिक्षयान मिशन, जिसे 'गगनयान' नाम दिया गया है, अब अंतिम चरणों में प्रवेश कर चुका है। हाल ही में ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने इस मिशन की समयसीमा और प्रगति पर अपडेट साझा किया है। बताया कि गगनयान का पहला मानवयुक्त उड़ान 2027में होगा। यह घोषणा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रही है।
गगनयान मिशन का सफर
गगनयान मिशन का उद्देश्य तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा (लगभग 400किलोमीटर ऊंचाई) में तीन दिनों के लिए भेजना है। यह मिशन न केवल भारत को स्वतंत्र मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता प्रदान करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की अंतरिक्ष तकनीक को मजबूत करेगा। डॉ. नारायणन के अनुसार, मिशन पूरी तरह से ट्रैक पर है और 2027तक मानवयुक्त उड़ान सुनिश्चित करने के लिए सभी तैयारी तेजी से चल रही हैं।
इससे पहले, मिशन की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए कई अनक्रूड टेस्ट फ्लाइट्स आयोजित की जाएंगी। पहली अनक्रूड मिशन, जिसे G1कहा जा रहा है, दिसंबर 2025में लॉन्च होने की उम्मीद है। इस उड़ान में 'व्योममित्रा' नामक एक अर्ध-मानव रोबोट को भेजा जाएगा, जो मिशन के दौरान विभिन्न कार्यों का परीक्षण करेगा, जैसे पर्यावरण नियंत्रण, संचार और स्वास्थ्य निगरानी। व्योममित्रा को 'हाफ-ह्यूमनॉइड' भी कहा जा रहा है, जो वास्तविक अंतरिक्ष यात्रियों की जगह लेते हुए जोखिमों को कम करेगा। इसके बाद 2026में दो और अनक्रूड मिशन आयोजित किए जाएंगे, जो मिशन की सभी प्रणालियों को अंतिम रूप से परखेंगे।
चंद्र मिशन की योजना
डॉ. नारायणन ने गगनयान के साथ भारत के भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 2040 तक भारत एक मानवयुक्त चंद्र मिशन भेजने की योजना बना रहा है, जो चंद्रमा पर लैंडिंग का लक्ष्य रखेगा। यह घोषणा भारत के 'चंद्रयान' कार्यक्रम की सफलता को आगे बढ़ाने वाली है और वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में भारत की मजबूत स्थिति को रेखांकित करती है। नारायणन ने प्रधानमंत्री के समर्थन का भी जिक्र किया, जिन्होंने इस मिशन को राष्ट्रीय प्राथमिकता का दर्जा दिया है। गगनयान मिशन की राह आसान नहीं रही है। कोविड-19 महामारी और तकनीकी जटिलताओं के बावजूद, ISRO ने अभूतपूर्व गति से काम किया है।
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