पटना एयरपोर्ट बना जंग का मैदान, टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और पप्पू यादव समर्थकों में मारपीट

Patna Airport Clash: बिहार विधानसभा चुनाव 2025के लिए बीजेपी, RLM, JDU ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। लेकिन इस बीच पटना एयरपोर्ट एक बार फिर राजनीतिक रणभूमि बन गया। दिल्ली से लौट रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का स्वागत करने पहुंचे कार्यकर्ताओं के बीच बुधवार शाम को जमकर हंगामा हो गया। कांग्रेस समर्थकों और पूर्व सांसद पप्पू यादव के अनुयायियों के बीच टिकट वितरण को लेकर शुरू हुई तीखी नोकझोंक देखते-देखते हिंसक झड़प में बदल गई। धक्का-मुक्की, गाली-गलौज और मारपीट की घटना ने एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी मचा दी, जबकि कई नेता जान बचाने के लिए मौके से खिसक गए।
स्वागत से शुरू हुआ विवाद
बता दें, यह घटना उस वक्त घटी जब कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और पूर्व सांसद शकील अहमद खान दिल्ली से पटना पहुंचे। दिल्ली में हुई पार्टी की अहम बैठक के बाद इन नेताओं का स्वागत करने एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटे थे। लेकिन स्वागत की तैयारियां अभी पूरी भी नहीं हुई थीं कि विवाद भड़क उठा। सूत्रों के अनुसार, पप्पू यादव के समर्थक विक्रम विधानसभा सीट के टिकट बंटवारे से नाराज थे। उनका आरोप था कि पार्टी ने पुराने वफादार नेताओं की अनदेखी करते हुए बाहरी उम्मीदवारों को चुना।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना था कि पप्पू यादव के समर्थक स्वागत में हस्तक्षेप कर रहे थे। जिसके बाद टिकट की मांग को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। बातें बढ़ीं तो हाथापाई शुरू हो गई। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। जिसमें साफ देखा जा सकता है कि दोनों पक्षों के लोग एक-दूसरे पर लपटे पड़ रहे हैं, जबकि शकील अहमद खान की कार को नुकसान पहुंचा। एयरपोर्ट पर तैनात सुरक्षा बलों ने किसी तरह हालात पर काबू पाया और नेताओं को सुरक्षित बाहर निकाला। कई स्थानीय नेता इस हंगामे से बचने के लिए पीछे के रास्ते से भाग निकले।
टिकट बंटवारे ने बढ़ाई मुश्किलें
यह झड़प बिहार चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की आंतरिक कलह को उजागर करती है। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर पहले ही विवाद चल रहा है और अब पार्टी के अंदर ही टिकट की होड़ ने फूट डाल दी है। पप्पू यादव, जो जन अधिकार पार्टी (सेक्युलर) के प्रमुख हैं और कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं, के समर्थक लंबे समय से विक्रम जैसे सीटों पर दावा ठोंक रहे हैं। लेकिन दिल्ली हाईकमान के फैसलों से असंतुष्टि बढ़ गई है। कार्यकर्ताओं का गुस्सा पुराने नेताओं की उपेक्षा पर केंद्रित है, जो पार्टी की जमीनी ताकत को कमजोर कर सकता है।
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