निमिषा को फांसी से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, सरकार से की मांग
Nimisha Priya Yamen: केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई 2025 को फांसी की सजा दी जानी है। इसको टालने के लिए सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने भारत के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में केंद्र सरकार से तत्काल राजनयिक हस्तक्षेप और इस्लामी शरीया कानून के तहत 'ब्लड मनी' के जरिए निमिषा की जान बचाने की अपील की गई है। निमिषा को 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी ठहराया गया था। उनके परिवार और समर्थकों को ब्लड मनी के जरिए माफी की उम्मीद है, लेकिन तलाल के परिवार की असहमति और यमन की जटिल राजनीतिक स्थिति इस राह में बाधा बन रही है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और कानूनी प्रयास
गुरुवार को वरिष्ठ अधिवक्ता रजेंथ बसंत ने न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्य बागची की पीठ के समक्ष यह मामला उठाया। उन्होंने बताया कि यमन की पहली अपीलीय अदालत ने निमिषा की अपील खारिज कर दी, लेकिन ब्लड मनी के जरिए समझौते की संभावना बनी हुई है। बसंत ने समय की कमी का हवाला देते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की। पहले कोर्ट ने 15 जुलाई को सुनवाई का सुझाव दिया, लेकिन राजनयिक प्रक्रिया में लगने वाले समय को देखते हुए पीठ ने मामले को 14 जुलाई 2025 को सूचीबद्ध किया। याचिकाकर्ताओं ने केंद्र से यमन सरकार और तलाल के परिवार से बातचीत शुरू करने का आग्रह किया है।
मामले की पृष्ठभूमि और ब्लड मनी की चुनौती
निमिषा 2008 में नर्स के रूप में यमन गई थीं और 2014 में तलाल के साथ क्लीनिक खोलने के लिए साझेदारी की। विवाद के बाद निमिषा ने तलाल पर शोषण और धोखाधड़ी के आरोप लगाए। 2017 में पासपोर्ट वापस लेने के प्रयास में तलाल को बेहोशी का इंजेक्शन देने से उसकी मौत हो गई। निमिषा ने शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में फेंक दिया, जिसके बाद उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया। तलाल के परिवार को 1.52 करोड़ रुपये की ब्लड मनी की पेशकश की गई, लेकिन वे सहमत नहीं हुए। भारत सरकार यमनी अधिकारियों और हूती प्रशासन से संपर्क में है, लेकिन यमन का गृहयुद्ध और हूती नियंत्रण प्रयासों को जटिल बना रहा है। ईरान ने भी मानवीय आधार पर मदद की पेशकश की है।
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