सावन के पहले दिन इन शुभ मुहूर्त में करें शिवलिंग पर जल अर्पण, फिर देखें फायदे!
The right time to offer water to Shivling: मेरा भोला है भंडारी, करता नंदी की सवारी... सावन का यह महीना भोले बाबा को समर्पित होता है। चारों ओर हरियाली और सुहाना मौसम। भगवान शंकर को यह महीना बहुत प्रिय है, तभी तो इस दौरान भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए क्या-क्या नहीं करते! मंदिर जाते हैं, कांवड़ यात्रा निकालते हैं, और भी कई तरह से भक्ति प्रकट करते हैं। लेकिन क्या आप उस विशेष मुहूर्त के बारे में जानते हैं, जिसमें पवित्र शिवलिंग पर जल अर्पित करने से भगवान शंकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं?
शिवलिंग पर जल अर्पण का शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त को अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली समय माना जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है। सावन के पहले दिन, यानी 11जुलाई 2025को, इस विशेष मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा और शिवलिंग पर जल अर्पण करना अत्यंत फलदायी होता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:16बजे से 5:04बजे तक रहेगा। इस समय शिवलिंग पर जल चढ़ाने और शिव पूजा करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि आप ब्रह्म मुहूर्त में जलाभिषेक न कर पाएं, तो अमृत काल में भी शिवलिंग पर जल अर्पण करना शुभ माना जाता है। 11जुलाई को अमृत काल सुबह 5:30बजे से 7:15बजे तक रहेगा। इस शुभ समय में जल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनवांछित फल मिलता है। इसके अलावा, 11जुलाई को दोपहर 12:05बजे से 12:58बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। यह समय भी अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है। यदि आप सुबह जल अर्पण न कर सकें, तो इस मुहूर्त में शिव पूजा और जलाभिषेक कर सकते हैं। साथ ही, प्रदोष काल में भी शिव पूजा का विशेष महत्व है। यह समय सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और लगभग रात 8बजे तक रहता है। इस दौरान भी शिवलिंग पर जल चढ़ाकर भगवान शिव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
11जुलाई से शुरू होकर 9अगस्त तक चलेगा सावन
सावन के पवित्र महीने में, जो 11जुलाई से शुरू होकर 9अगस्त तक चलेगा, भगवान शिव की पूजा और शुभ मुहूर्तों में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से अनेक शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस वर्ष सावन में चार सोमवार आएंगे, जो भक्तों के लिए विशेष महत्व रखते हैं। शिव पूजा के साथ-साथ इस दौरान योग और ध्यान करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है। आदियोगी शिव भक्तों को न केवल आध्यात्मिक प्रगति प्रदान करते हैं, बल्कि जन्म-मृत्यु के चक्र से भी मुक्ति दिलाते हैं। इसलिए सावन में न सिर्फ भगवान शिव की पूजा, बल्कि ध्यान और आध्यात्मिक साधनाएं भी अवश्य करनी चाहिए।
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