Rajasthan Election: राजस्थान के चुनावी रण में वसुंधरा राजे को क्यों दरकिनार नहीं कर सकती BJP? ये है मुख्य वजहें

Rajasthan Election2023: राजस्थान में चुनाव होने हैं और चुनाव से पहले राज्य में सियासी घमासान तेज हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह 2दिन तक जयपुर में डेरा डाले रहे। BJPअध्यक्ष नड्डा और शाह ने कोर कमेटी की बैठक ली और गुटबाजी पर नाराजगी जताई। बैठक में नड्डा-शाह ने यह भी साफ कर दिया कि पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नेता का चेहरा पेश किए बिना ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
राजस्थान BJPकोर कमेटी की बैठक के बाद दोनों नेताओं ने पूर्व CMवसुंधरा राजे के साथ भी बैठक की। वहीं, दूसरी ओर वसुंधरा समर्थक माने जाने वाले सात बार के पूर्व विधायक देवी सिंह भाटी की भी पार्टी में वापसी हो गई है। ये वही नेता हैं जिनके बारे में कहा जा रहा था कि हाईकमान के सामने BJPमें वापसी के लिए वसुंधरा को चुनाव लड़ाने की घोषणा करने की शर्त रखी गई है।
BJPकी बिना सेनापति के चुनावी रणभूमि में उतरने की तैयारी और वसुंधरा के नेतृत्व की शर्त रखने वाले भाटी की पार्टी में वापसी से सवाल उठ रहे हैं कि क्या पार्टी नेतृत्व ने चुनाव के बाद वसुंधरा को कोई आश्वासन दिया है ? ये सवाल इसलिए और गहरा हो गया है क्योंकि जेपी नड्डा-शाह के जयपुर से लौटते ही वसुंधरा एक्टिव मोड में आ गईं।
जेपी नड्डा और अमित शाह जयपुर पहुंचे और नेताओं के साथ बैठक की
वसुंधरा राजे अलवर जिले की बल्देवगढ़ पंचायत के बड़वा डूंगरी गांव पहुंचीं और पदयात्रा के समापन समारोह में भाग लिया। वसुन्धरा ने संतों का आशीर्वाद भी लिया। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर BJPवसुंधरा राजे को पूरी तरह से किनारे क्यों नहीं कर सकती? आइए पांच प्वाइंट में समझते हैं।
राजनीति का लम्बा अनुभव
70 साल की वसुंधरा राजे के पास राजनीति का लंबा अनुभव है। 1984 में भारतीय जनता युवा मोर्चा से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली वसुंधरा 1985 में पहली बार विधानसभा सदस्य चुनी गईं और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1989 में वसुंधरा पहली बार लोकसभा पहुंचीं और 2003 तक BJPके नेतृत्व वाली सरकारों में अलग-अलग मंत्रालयों का कार्यभार संभाला।
2003 के विधानसभा चुनाव के बाद वसुंधरा राजस्थान की राजनीति में लौट आईं और पिछले 20 वर्षों से राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं। बीएस येदियुरप्पा जैसे वरिष्ठ नेता की उपेक्षा के कारण पार्टी को कर्नाटक चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले होने वाले विधानसभा चुनाव में BJPवसुंधरा की नाराजगी का जोखिम नहीं लेना चाहेगी।
गहलोत से भी बड़ा चेहरा
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बड़ा चेहरा हैं वसुंधरा राजे। 2003 के चुनाव के बाद से राजस्थान में सत्ता इन्हीं दो नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है। वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री पद के लिए BJPकी सबसे लोकप्रिय नेता भी हैं। अभी जुलाई महीने में ही सी वोटर का सर्वे जारी हुआ था जिसमें 36 फीसदी लोगों ने BJPकी ओर से CMपद के लिए वसुंधरा राजे को अपनी पहली पसंद बताया था। 2018 के चुनाव में जब सभी ओपिनियन पोल के नतीजे BJPको खारिज कर रहे थे, तब भी पार्टी ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी और 200 में से 73 सीटें जीतीं।
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