MP Chunav: शुरुआती रुझानों में BJP को प्रचंड बहुमत, जानें शिवराज के वो 5 बड़े ऐलान बने गेम चेंजर
MP Chunav: मध्य प्रदेश में एक बार फिर 'कमल' खिलने जा रहा है!रुझानों में BJPको प्रचंड बहुमत मिला है। कुछ महीने पहले कहा जा रहा था कि इस बार BJPके लिए चुनावी जंग जीतना काफी मुश्किल लग रहा है। इसमें सत्ता विरोधी लहर के साथ-साथ कई फैक्टर भी जोड़े जा रहे थे, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि रातों-रात BJPन सिर्फ चुनावी रेस में वापस आ गई, बल्कि भारी बहुमत से विधानसभा चुनाव में जीत भी दिला दी? जानिए वो 5 बड़े फैक्टर जो BJPकी जीत का कारण बने।
इस बार भी भारतीय जनता पार्टी ने जीत के लिए पूरा जोर लगाया। BJPने युवा और वरिष्ठ नेताओं को बराबर तरजीह देते हुए युवा और वरिष्ठ नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा। हालांकि, इस बार कांग्रेस भी चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार थी।इस बार भी कमल नाथ और दिग्विजय सिंह की 'जय वीरू' जोड़ी ने अपने अनुभव से चुनावी रणनीति को अमली जामा पहनाया। इस उम्मीद के साथ कि मध्य प्रदेश में एक बार फिर से कमलनाथ की सरकार बनेगी और इस बार एमपी की जनता स्पष्ट जनादेश देगी जो 2019 में नहीं मिला था। लेकिन कुछ महीने पहले शिवराज सिंह चौहान ने ऐसी 'गुगली' फेंकी, जिसने चुनाव में कांग्रेस को 'आउट' कर दिया।
जानिए क्या रहे जीत के 5 बड़े फैक्टर? विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
1. शिवराज सिंह चौहान का ये बड़ा ऐलान बना गेम चेंजर
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ महीने पहले एक बड़ी घोषणा की थी, वह थी लाडली बहना योजना योजना। अगर हम कहें कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में BJPकी जीत में इस योजना ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई तो गलत नहीं होगा। कई राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि लाडली ब्राह्मण योजना योजना BJPके लिए 'मास्टरस्ट्रोक' साबित हुई।
वरिष्ठ पत्रकार और वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक, BJPके पास चुनाव जीतने के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। लेकिन लाडली ब्राह्मण योजना ने न सिर्फ BJPको संभाला बल्कि चुनाव में जीत भी दिलाई। क्योंकि जब BJPको लगा कि वे हार जाएंगे तो शिवराज सिंह चौहान ने एक कार्यक्रम में घुटनों के बल बैठकर इस योजना की घोषणा की। इसमें BJPने राज्य की 1.5 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को पहले 1000 रुपये और फिर 1250 रुपये प्रति माह देना शुरू किया।
BJPने यहां तक कहा कि अगर हम जीते तो इसे 3,000 रुपये प्रति माह तक ले जाया जाएगा। इतना ही नहीं हम अपनी प्यारी बहनों को घर भी देंगे। क्योंकि महिलाओं को लाभ पहुंचने का मतलब पूरे परिवार को लाभ होना माना जाता है। इस योजना से BJPके लिए एक परिवार के वोटों की औसत संख्या, जो 5 मानी जाती है, बढ़ गयी। इसका लाभ पूरे मप्र को हुआ है। पहले की खुफिया रिपोर्ट BJPकी जीत से बिल्कुल अलग थी। लेकिन इस योजना ने BJPको जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है।
2. फिर चला पीएम मोदी का जादू
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मध्य प्रदेश में बड़ी जनसभाएं कीं। आदिवासी क्षेत्र झाबुआ, अलीराजपुर, मालवा निमाड़ जहां इस बार कांग्रेस को बड़ी सीटें मिलने का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। वहां नरेंद्र मोदी की जनसभाओं ने मतदाताओं को काफी प्रभावित किया।
BJPके वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय खुद मानते हैं कि पिछली बार यानी 2018 में कोविड के कारण मालवा क्षेत्र में पीएम मोदी की रैलियां और जनसभाएं नहीं हो पाई थीं, जिससे BJPको नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार पीएम मोदी की रैली और आमसभा से मालवा निमाड़ की BJPको काफी फायदा मिला।
3. कांग्रेस युवाओं को नहीं जोड़ पाई
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कमलनाथ का नेतृत्व युवाओं को आकर्षित नहीं करता है। इस बार भी कमलनाथ ने युवा नेता को आगे नहीं आने दिया। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी ने युवाओं को एकजुट करने के बजाय पारंपरिक रणनीति से चुनाव जीतने की योजना बनाई। चूंकि दोनों पुराने और बहुत वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए वे युवाओं की नब्ज नहीं पकड़ सके। इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा और सीधा फायदा BJPको मिला।
4. BJPका ये मुद्दा कमलनाथ की रणनीति पर भारी है
कांग्रेस हर राज्य में अलग-अलग रणनीति के साथ आगे बढ़ती है। कुछ राज्यों में वह मुस्लिम वोटों को लुभाती है तो कुछ राज्यों में 'धार्मिक' आधार पर वोट मांगने की रणनीति अपनाती है। इसमें कोई शक नहीं कि कमलनाथ भगवान हनुमान के बहुत बड़े भक्त हैं। लेकिन वे चुनाव के दौरान केवल 'हनुमान' फैक्टर पर जोर देते हैं। पिछले चुनाव में मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के कारण वह आलोचना का शिकार हुए थे।
वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि वह मुस्लिम वोट पाने के लिए क्या-क्या कह रहे हैं। जबकि BJPकी रणनीति हर राज्य में एक जैसी रही है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का जो वादा पूरा हो रहा है, उस बात ने भी कहीं न कहीं BJPको फायदा पहुंचाया।
5. बूथ स्तर पर BJPकार्यकर्ताओं का उत्साह जबरदस्त
मध्य प्रदेश में BJP2003 से सत्ता में है। वहीं कांग्रेस अगर 2019 के 15 महीनों को छोड़ दें तो 2003 से ही सत्ता से बाहर रहेगी। ऐसे में जाहिर सी बात है कि BJPकार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह चरम पर रहेगा। । प्रत्येक विकासखण्ड, जिला एवं ग्राम स्तर पर भाजपा कार्यकर्ता उत्साह के साथ कार्य करते नजर आ रहे हैं। इस चुनाव में भी यही देखने को मिला।
भूपेन्द्र यादव के साथ BJPके मध्य प्रदेश चुनाव प्रभारी बनाए गए अश्विनी वैष्णव ने खुद कहा कि बूथ स्तर पर हमारे कार्यकर्ताओं की मेहनत और जुनून के दम पर ही हम चुनाव जीतेंगे। इस बार कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या और BJPकी जीत के लिए उनका उत्साह कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। डेढ़ दशक से अधिक समय तक मप्र की सत्ता से बाहर रही कांग्रेस के कार्यकर्ता कमजोर केंद्रीय राजनीतिक नेतृत्व के कारण आत्मविश्वास हासिल नहीं कर पाने के कारण निराशा में रहे।
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