अब टूटेगा ISIS का जाल, ज्ञानवापी जज को काफिर बताकर धमकी देने वाला आतंकी अदनान पर FIR
FIR Against Adnan: देश की राजधानी दिल्ली में दीवाली के ठीक पहले एक बड़ा आतंकी हमला टल गया। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दो कुख्यात ISIS समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया, जो भीड़भाड़ वाले इलाकों में विस्फोट की योजना बना रहे थे। इनमें से एक आरोपी अदनान खान (उर्फ अबू मोहम्मद) वह कुख्यात आतंकी है, जिसने 2024में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से जुड़े जज रवि कुमार दिवाकर को 'काफिर' बताकर हत्या की खुली धमकी दी थी।
उत्तर प्रदेश ATS द्वारा दर्ज FIR के बावजूद अदनान को जमानत मिल गई थी, जो अब एक बड़ी लापरवाही के रूप में सामने आ रही है। इस घटना ने आईएसआईएस की भारत में बढ़ती पैठ और सोशल मीडिया के जरिए फैलाए जा रहे जिहादी प्रोपगैंडा की खतरनाक हकीकत को उजागर कर दिया है।
कैसे हुआ मामले का खुलासा?
बता दें, 'यह साजिश का पर्दाफाश तब हुआ जब दिल्ली पुलिस ने 16अक्टूबर को साकेत के सदीक नगर इलाके से मोहम्मद अदनान खान (उर्फ अबू मुहरिब, 19वर्ष) को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने अपने भोपाल स्थित साथी अदनान खान (20वर्ष) का नाम लिया। 18अक्टूबर को मध्य प्रदेश पुलिस और भोपाल एटीएस की संयुक्त कार्रवाई में अदनान खान को करोंड क्षेत्र से धर दबोचा गया। दोनों युवक ISIS के सीरिया-तुर्की बॉर्डर पर सक्रिय हैंडलर 'अबू इब्राहिम अल-कुरेशी' के इशारे पर काम कर रहे थे।
अदनान खान का आपराधिक इतिहास पहले से ही काला है। जून 2024में उत्तर प्रदेश ATS ने उसके खिलाफ FIR दर्ज की थी, जब उसने इंस्टाग्राम अकाउंट पर जज रवि कुमार दिवाकर की फोटो शेयर की। फोटो पर जज के चेहरे पर लाल रंग से 'काफिर' शब्द लिखा था और कैप्शन था 'THE KAFIRS BLOOD IS HALAL FOR YOU THOSE WHO FIGHT AGAINST YOUR DEEN।' यानी 'काफिर का खून हलाल है उन लोगों के लिए जो अपने दीन (धर्म) की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं।' यह पोस्ट ज्ञानवापी मामले की वीडियोग्राफिक सर्वे के आदेश देने वाले जज को निशाना बनाकर हिंसा भड़काने का प्रयास था।
FIR में IPC की धारा 153A (समुदायों में वैमनस्य फैलाना), 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी), 507 (गुमनाम धमकी) के साथ-साथ आईटी एक्ट और यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम) की धारा 13के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। एटीएस अधिकारी प्रभाकर ओझा ने एफआईआर में कहा कि यह पोस्ट हजारों लोगों तक पहुंची और इससे "ज्ञानवापी केस सुन रहे जज की हत्या के लिए लोगों को उकसाया गया।" अगर ऐसी गतिविधियों को रोका न गया, तो "कोई बड़ा हादसा हो सकता है।"
जमानत पर भी हुआ विवाद
इसके बाद सितंबर 2024में लखनऊ की स्पेशल एनआईए कोर्ट के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने अदनान को जमानत दे दी। कोर्ट का तर्क था कि अपराध की सजाएं सात साल से कम हैं, कोई पूर्व आपराधिक इतिहास नहीं है और अदनान पहले से चार महीने जेल में काट चुका था। लेकिन यह फैसला अब सवालों के घेरे में है। जमानत के बाद अदनान ने अपनी कट्टरता को और गहरा किया। वह ऑनलाइन जिहादी कंटेंट एडिट करने लगा और आईएसआईएस प्रोपगैंडा वीडियो बनाकर भर्ती अभियान चलाने लगा।
जज दिवाकर ने खुद 2024 में इलाहाबाद हाईकोर्ट को पत्र लिखकर सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। उन्होंने कहा 'इस्लामी कट्टरपंथी अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को ब्रेनवॉश कर मुझे काफिर बताकर मारने की साजिश रच रहे हैं।' उनके पास अंतरराष्ट्रीय कॉल्स से धमकियां आ रही थीं, लेकिन मौजूदा सुरक्षा (दो जवान) को अपर्याप्त बताया गया। एनआईए कोर्ट के जज त्रिपाठी ने भी हाईकोर्ट को पत्र लिखा, जिसमें अदनान की FIR का हवाला देकर 'इस्लामी कट्टरपंथी ताकतों की हत्या की साजिश' का जिक्र किया।
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