PM Kisan Samman Nidhi: फर्जी तरीके से सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वालों की अब खैर नहीं, केंद्र ने बनाई ये योजना

PM Kisan Samman Nidhi: अब फर्जी तरीके से सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वालों की खैर नहीं, सरकार अब ऐसे लोगों के ऊपर कार्यवाही की तैयारी में है। केंद्र सरकार ऐसे लोगों से 18000 करोड़ रुपये बचाने की तैयारी कर रही है जो फर्जी तरीके से सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। इनमें से कई को पहले ही लाभार्थियों की सूची से हटा दिया गया है और कई को हटाया जाना बाकी है। केंद्र ने राज्य सरकार के साथ मिलकर PMकिसान सम्मान निधि, मनरेगा और उर्वरक सब्सिडी के लाभार्थियों के सत्यापन का काम शुरू कर दिया है। सत्यापन के दौरान सामने आए फर्जी लाभार्थियों में से एक बड़े हिस्से को बाहर कर दिया गया है।
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक अखबार को दिए बयान में कहा है कि विभिन्न योजनाओं से फर्जी लाभार्थियों को हटाकर सरकार इस वित्तीय वर्ष में कम से कम 18,000 करोड़ रुपये बचाने में सफल होगी। अब तक 1.7 करोड़ से ज्यादा किसानों को PMकिसान सम्मान निधि से बाहर कर दिया गया है। ये किसान अपात्र होने के बावजूद किसान सम्मान निधि का लाभ ले रहे थे।
अधिकारी ने कहा, ''पिछले छह महीनों से राज्य और केंद्र सरकारें PMकिसान के तहत लाभार्थी सूची से डुप्लिकेट और फर्जी लाभार्थियों को हटाने के लिए मिलकर काम कर रही हैं ताकि इसका लाभ सही लोगों तक पहुंच सके।'' सिर्फ PMकिसान के जरिए सरकार को इस वित्त वर्ष में 9000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
क्या है PMकिसान सम्मान निधि?
PMकिसान सम्मान निधि सरकार द्वारा किसानों के लिए शुरू की गई एक योजना है जिसमें उन्हें वित्तीय सहायता दी जाती है। किसानों को सरकार की ओर से हर साल 6,000 रुपये की आर्थिक मदद मिलती है। यह मदद हर 4 महीने में 2 रुपये की किस्त के रूप में दी जाती है। इसकी शुरुआत 2019 में हुई थी और अब तक इसके तहत किसानों को 2.40 लाख करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं। सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 60,000 करोड़ रुपये का बजट रखा है।
फर्टिलाइजर सब्सिडी और मनरेगा
सरकार इन योजनाओं के जरिए जरूरतमंद लोगों को आर्थिक मदद भी मुहैया कराती है। सरकार किसानों को रियायती दरों पर यूरिया उपलब्ध कराती है। इसके लिए सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में बजट में 1.74 लाख करोड़ रुपये रखे हैं। यहां धांधली रोकने के लिए एक दस्ता बनाया गया है। मनरेगा में सरकार ने करीब 33 लाख लोगों को डेटाबेस से हटा दिया है। इससे सरकार को करीब 4000 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है। इस साल बजट में मनरेगा के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले साल से 18 फीसदी कम है।
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