UNSC में अमेरिका का एक और वीटो, गाजा युद्धविराम पर वैश्विक समर्थन के बावजूद प्रस्ताव खारिज
Gaza Ceasefire Proposal: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में गाजा में तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम की मांग करने वाले एक प्रस्ताव को अमेरिका ने वीटो कर दिया। दरअसल, यह प्रस्ताव सुरक्षा परिषद के 10निर्वाचित सदस्यों (E-10) द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसे 14सदस्य देशों का समर्थन प्राप्त था। इसके बावजूद अमेरिका के एकमात्र विरोधी वोट ने इस प्रस्ताव को पारित होने से रोक दिया। मालूम हो कि यह पांचवीं बार है जब अमेरिका ने गाजा में युद्धविराम की मांग वाले प्रस्ताव को वीटो किया है।
गाजा युद्धविराम प्रस्ताव
बता दें, गाजा युद्धविराम प्रस्ताव को अल्जीरिया, डेनमार्क, ग्रीस, गुयाना, पाकिस्तान, पनामा, दक्षिण कोरिया, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया और सोमालिया ने सह-प्रायोजित किया था। इस प्रस्ताव में गाजा में सभी पक्षों द्वारा तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम लागू करने की मांग की गई है। साथ ही, हमास और अन्य समूहों द्वारा बंधक बनाए गए सभी लोगों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग औऱ गाजा में मानवीय सहायता के लिए सुरक्षित और अबाधित पहुंच, साथ ही आवश्यक सेवाओं की बहाली की मांग की गई है।
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र की फिलिस्तीनी शरणार्थी एजेंसी (UNRWA) को मानवीय सहायता के लिए रीढ़ की हड्डी माना गया। इसलिए इसके कार्यों को बिना किसी बाधा के लागू करने की मांग की गई। बता दें, यह प्रस्ताव गाजा में गहराते मानवीय संकट को संबोधित करने के लिए लाया गया था। जहां 13महीनों से ज्यादा समय से चल रहे युद्ध ने लगभग 44,000लोगों की जान ले ली है और 23लाख की आबादी में से अधिकांश को विस्थापित कर दिया है।
अमेरिका ने लगाया वीटो
अमेरिका ने गाजा युद्धविराम प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया है। अमेरिका ने तर्क दिया कि यह युद्धविराम को बंधकों की रिहाई से जोड़ने में विफल रहा। कार्यवाहक अमेरिकी राजदूत डोरोथी शीया ने कहा 'हम बिना शर्त युद्धविराम का समर्थन नहीं कर सकते जो बंधकों की रिहाई सुनिश्चित न करे। युद्ध का स्थायी अंत और बंधकों की रिहाई आपस में जुड़े हुए हैं। ऐसे में यह प्रस्ताव इन सब बातों को नजरअंदाज करता है।'
उन्होंने आगे कहा प्रस्ताव हमास के 7 अक्टूबर 2023 के हमले की निंदा करने और उसे निरस्त्र करने या गाजा छोड़ने की मांग करने में विफल रहा। ऐसे में यह प्रस्ताव हमास को यह संदेश देता है कि उसे बातचीत की मेज पर लौटने की जरूरत नहीं है, जो अमेरिका की मध्यस्थता प्रयासों को कमजोर करता है।
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