वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूती, 7% तक पहुंच सकती है GDP ग्रोथ रेट
 
                
GDP Growth Rate India:भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल के बीच भी मजबूती से आगे बढ़ रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंथा नागेश्वरन ने हाल ही में भरोसा जताते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 (एफवाई26) में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7% तक पहुंच सकती है। यह अनुमान आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए 6.3% से 6.8% के दायरे के ऊपरी छोर पर आधारित है। मुंबई में इंडिया मैरीटाइम वीक के दौरान उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है और तीन प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने हाल ही में भारत की रेटिंग को अपग्रेड किया है।
भारत की आर्थिक मजबूती के क्या कारण?
- CEA नागेश्वरन ने भारत की आर्थिक मजबूती के कई कारण गिनाए। उन्होंने सबसे पहले सरकार की ओर से लागू की गई आयकर राहत और जीएसटी में बदलावों का जिक्र किया गया, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली। GST 2.0 के तहत दरों में कटौती (जैसे 18% से 5% या 12% से 5% तक) और मुआवजा उपकर की वापसी से घरेलू कर बचत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। इससे उपभोग बढ़ेगा और आर्थिक गुणक प्रभाव के जरिए 2.5 लाख करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त प्रभाव पड़ सकता है।
- इसके अलावा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से मौद्रिक प्रवाह को सुचारू बनाए रखने के प्रयासों को भी सराहा गया। पिछले छह वर्षों में बैंकों और गैर-बैंकीय ऋणदाताओं से संसाधन जुटाव में 28.5% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है, जो विस्तार की रणनीति को दर्शाता है।
- CEA ने बताया कि एफवाई26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी वृद्धि 7.8% रही, जो सेवाओं, विनिर्माण, निर्माण और कृषि क्षेत्रों की मजबूती से संभव हुई। कृषि क्षेत्र में 3.7% की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले वर्ष की 1.5% से बेहतर है और अच्छे मॉनसून का नतीजा है। विनिर्माण जीवीए में नाममात्र 10.1% और वास्तविक 7.7% की बढ़ोतरी हुई। जुलाई और अगस्त यानी दूसरी तिमाही में भी वृद्धि 7% के करीब रह सकती है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) भी मजबूत रहा, अप्रैल-जून में 25 अरब डॉलर का प्रवाह हुआ, जो सालाना 100 अरब डॉलर का रिकॉर्ड बनाने की दिशा में है।
- हालांकि, वैश्विक चुनौतियां कम नहीं हैं। अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए टैरिफ का जिक्र करते हुए सीईए ने कहा कि इससे निर्यात प्रभावित हो सकता है, लेकिन यह अल्पकालिक है। अगस्त में ट्रंप प्रशासन ने 25% से बढ़ाकर 50% टैरिफ लगाया, जिसमें रूसी कच्चे तेल की खरीद और 'अनुचित व्यापार' प्रथाओं का हवाला दिया गया। इससे जीडीपी वृद्धि पर 0.5 प्रतिशत अंकों तक का असर पड़ सकता है। इसके अलावा अमेरिकी वीजा नियमों में सख्ती, जैसे एच-1बी वीजा शुल्क को 1,000 डॉलर से बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर करना, आईटी निर्यात को प्रभावित कर सकता है।
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