रूस का घातक हथियार शहरों को कर देगा तबाह, जानें रेडियोएक्टिव समुद्री लहरें पैदा करने वाला टॉरपीडो कितना खतरनाक
Russia Nuclear Torpedo:हाल ही में रूस ने अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम उठाया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 29 अक्टूबर 2025 को घोषणा की कि देश ने पॉसिडॉन नामक न्यूक्लियर टॉरपीडो का सफल परीक्षण पूरा कर लिया है। जानकारी के अनुसार, ये हथियार रेडियोएक्टिव सुनामी से शहरों को तबाह करने की क्षमता रखता है।
यह हथियार एक स्वायत्त अंडरवाटर ड्रोन के रूप में काम करता है, जो न्यूक्लियर पावर से संचालित होता है और न्यूक्लियर वारहेड ले जाने में सक्षम है। इसका मुख्य उद्देश्य समुद्री लहरों को रेडियोएक्टिव बनाकर तटीय शहरों को लंबे समय तक रहने लायक नहीं छोड़ना है, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही मच सकती है।
हालिया परीक्षण की जानकारी
बता दें, ये परीक्षण 28 अक्टूबर 2025 को किया गया, जिसमें एक कैरियर सबमरीन से टॉरपीडो को लॉन्च किया गया। इस दौरान इसका न्यूक्लियर पावर यूनिट सक्रिय किया गया, जो एक निर्धारित समय तक चला। पुतिन ने इसे बड़ी सफलता बताते हुए यूक्रेन युद्ध में घायल सैनिकों से मुलाकात के दौरान इसकी घोषणा की। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह हथियार अजेय है और रूस की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाई प्रदान करेगा। यह परीक्षण रूस के न्यूक्लियर हथियारों के विकास में एक अहम कड़ी है। हाल ही में, देश ने बुरेवेस्टनिक नामक न्यूक्लियर-पावर्ड क्रूज मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया था, जो दुश्मन की डिफेंस को चकमा देने में सक्षम है।
पॉसिडॉन की विशेषताएं और क्षमताएं
पॉसिडॉन को एक ऐसा हथियार माना जाता है जो पारंपरिक रक्षा प्रणालियों को चकमा दे सकता है। यह न्यूक्लियर इंजन से लैस है, जो इसे लंबी दूरी तय करने की अनुमति देता है। इसकी गति और गहराई में डुबकी लगाने की क्षमता दुनिया में किसी अन्य हथियार से मेल नहीं खाती, जिससे इसे इंटरसेप्ट करना लगभग असंभव हो जाता है। जब यह न्यूक्लियर वारहेड से लैस होता है, तो यह समुद्र में विस्फोट कर रेडियोएक्टिव सुनामी पैदा कर सकता है, जो पूरे तटवर्ती क्षेत्रों को प्रदूषित कर देगी।
पुतिन के अनुसार, इसकी शक्ति रूस की सार्माट इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल से भी ज्यादा है, जो दुनिया की सबसे शक्तिशाली न्यूक्लियर मिसाइलों में से एक मानी जाती है। यह हथियार अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम और नाटो के विस्तार के जवाब में विकसित किया गया है। रूस का मानना है कि ऐसे उन्नत हथियार दुश्मन की रक्षा प्रणालियों को बेअसर कर सकते हैं, जिससे सामरिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
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