365 बत्ती का दीपक जलाने से मिलेगी सुख-समृद्धि, जानें कार्तिक पूर्णिमा पर क्या हैं इसका महत्व और नियम
365Batti Ka Diya:हिंदू कैलेंडर में कार्तिक मास को सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है और इसकी पूर्णिमा तिथि को 'कार्तिक पूर्णिमा' या 'देव दीपावली' के रूप में मनाया जाता है। इस साल 2025 में कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर, बुधवार को पड़ रही है, जहां पूर्णिमा तिथि 5 नवंबर को सुबह करीब 2:35 बजे से शुरू होगी और शाम तक चलेगी। इस दिन भगवान विष्णु, शिव और कार्तिकेय की पूजा का विधान है। साथ ही, इस दिन एक अनोखी रस्म का भी विशेष महत्व है। इस दिन 365 बातियों वाला दीया शुभ माना जाता है, जिससे पूरे वर्ष (365 दिनों) की पूजा का फल एक साथ प्राप्त होने की मान्यता है।
365 बाती के दीये का महत्व
हिंदू धर्म में 365 बातियां साल के हर दिन का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दीपक को जलाने से पापों का नाश होता है, घर में सुख-समृद्धि आती है, वास्तु दोष दूर होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा का अंत होता है। इसके अलावा कुछ परंपराओं में इसे वैकुंठ चतुर्दशी (4 नवंबर 2025) पर भी जलाया जाता है, लेकिन ज्यादातर इसे कार्तिक पूर्णिमा की शाम को जलाने की सलाह दी जाती है।
365 बाती का दीया कैसे तैयार करें?
इस विशेष दीपक को घर पर आसानी से बनाया जा सकता है।
- बत्ती बनाना:एक पवित्र कलावा (लाल-पीला धागा) लें और इसे अपने हाथ पर 73 बार लपेटें। बचे हुए धागे को काट लें। अब लपेटे हुए कलावे को बीच से काटकर सभी धागों को सीधा करें, जिससे 365 पतली बत्तियां बन जाएं। इन्हें एक साथ बांधकर एक मोटी बत्ती की तरह उपयोग करें।
- दीपक का पात्र:एक कटे हुए नारियल या मिट्टी के बड़े बर्तन में देशी घी या तेल भरें। नारियल में तीन-चार जगह छेद करके बत्ती फिट करें, या बर्तन में बत्ती डालें।
- दीया जलाने की विधि:शाम के समय स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें। दीपक को पूर्व या उत्तर दिशा में रखकर जलाएं, जहां पूर्व नई शुरुआत और उत्तर धन-समृद्धि का प्रतीक है। जलाते समय 'ओम नमः शिवाय' या 'ओम विष्णवे नमः' जैसे मंत्रों का जाप करें। इसे शिव मंदिर में जलाना और भी शुभ माना जाता है।
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