Canada: मंदिर निर्माण पर धमकी दे रहे थे खालिस्तानी, हंगामा करने आए लोगों को भारतीयों ने खदेड़ा
Canada: कनाडा में हिंदू और भारतीय समुदाय के खिलाफ खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियां जारी हैं। ताजा मामला सरे का है, जहां मंदिर में हंगामा करने पहुंचे खालिस्तानियों को भारतीय-कनाडाई समुदाय ने करारा जवाब दिया। बताया जाता है कि दोनों पक्षों के बीच करीब 3 घंटे तक तनाव बना रहा। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया।
आपको बता दें कि, रविवार को लक्ष्मी नारायण मंदिर में काउंसलर कैंप का आयोजन किया गया था। मंदिर से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि उस दौरान SFJयानी सिख फॉर जस्टिस द्वारा बुलाए गए प्रदर्शनकारियों ने जमकर हंगामा किया। अध्यक्ष सतीश कुमार कहते हैं, 'वे लगभग 25 प्रदर्शनकारी थे और हम लगभग 200 थे।' मंदिर के बाहर सड़कों के दोनों ओर दोनों गुटों में विवाद होता रहता था। फिर सारी पुलिस के 20 जवानों ने स्थिति को संभालने की कोशिश की।
खालिस्तानी धमकी दे रहे थे, भारतीयों ने जवाब दिया
मंदिर परिषद के अध्यक्ष पुरूषोत्तम गोयल कहते हैं, 'जिस तरह उन्होंने हमें चेतावनी दी, हम भी तैयार थे। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि हम उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, 'अगर वाणिज्य दूतावास समुदाय के लिए काम करना चाहता है, तो हम बिना किसी डर के उनका स्वागत करने के लिए तैयार हैं। हम चिंतित नहीं है।
खास बात यह है कि इससे पहले भी मंदिर ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किया था, 'मंदिर पर हमला हो रहा है,आओ और इसे बचा लो।'
निज्जर की हत्या
आपको बता दें कि,सारी शहर में ही खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को मार गिराया गया। 18 जून को हुए नरसंहार को कनाडा सरकार ने भारत से जोड़ने की कोशिश की थी। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी संसद में आशंका जताई थी कि इस हत्या में भारतीय एजेंट शामिल हो सकते हैं। भारत ने इन आरोपों का कड़ा विरोध किया था।
खालिस्तानी उत्पात मचा रहे हैं
भारतीय वाणिज्य दूतावास ने ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र में एक कांसुलर शिविर भी आयोजित किया। खालिस्तानियों ने वहां भी जमकर प्रदर्शन किया था। कनाडा में 6 स्थानों पर इसी तरह के शिविर आयोजित किए गए और खालिस्तान समर्थकों की धमकियों के कारण वहां भारी पुलिस उपस्थिति थी। दरअसल, इसकी वजह उन बुजुर्गों को सुविधाएं मुहैया कराना है, जिन्हें भारतीय मिशन तक पहुंचने के लिए ओटावा, टोरंटो या वैंकूवर जाना पड़ता था।
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