'सभी नागरिकों को सोचने की आजादी है', इमरान प्रतापपढ़ी के खिलाफ केस रद्द करते हुए बोला सुप्रीम कोर्ट
Imran Pratapgarhi Controversial Poem Case: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। इमरान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दरअसल, इमरान के खिलाफ उनकी कविता के लिए गुजरात के जामनगर में केस दर्ज किया गया था। जिसे अब कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इस मामले में कोर्ट का कहना है कि जिस सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर यह केस दर्ज हुआ था, उसमें ऐसी कोई बात नहीं कही गई थी, जिससे किसी को ठेस पहुंचे।
कोर्ट ने आगे कहा 'कविता, कला और व्यंग्य जिंदगी को समृद्ध बनाती है। स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति समाज के लिए जरूरी है। इसलिए पुलिस अभिव्यक्ति की आजादी सुनिश्चित करे।'
'पुलिस खुद सामग्री की समीक्षा करें'
इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ केस रद्द करने के फैसले पर कोर्ट ने कहा कि हमारे संविधान में नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार दिए गए है। ऐसे में उसकी रक्षा के लिए पुलिस और अदालत को अपने दायित्व से पीछे नहीं हट सकते।
कोर्ट ने आगे कहा कि पुलिस को पहले खुद इस तरह के मामलों की समीक्षा करनी चाहिए। फिर केस दर्ज करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि केस सिर्फ शिकायत के आधार पर दर्ज ना करें।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बीते कुछ समय इमरान प्रतापगढ़ी गुजरात के जामनगर में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शामिल हुए थे। जिसके बाद उन्होंने 02जनवरी को अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया था। इस पोस्ट में उन्होंने बैकग्राउंड ऑडियो के तौर पर 'ऐ खून के प्यासे लोगों सुनो' वाली एक कविता लगाई थी। लेकिन कुछ लोगों ने इस कविता को सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला बताते हुए इमरान के खिलाफ FIR दर्ज करवाई।
पुलिस ने शिकायत दर्ज करते हुए इमरान पर बीएनएस की 196 और 197 धाराएं लगाई। जिसके बाद इमरान ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस मामले में इमरान ने कहा कि उनका मकसद सिर्फ शांति और प्रेम को बढ़ावा देना था। लेकिन हाई कोर्ट के जस्टिस संदीप भट्ट की बेंच ने उनकी इन दलीलें को खारिज कर दिया। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए इमरान के केस को रद्द कर दिया है।
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